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Bihar Assembly Election: चुनाव आयोग से BJP की मांग- कोरोना काल में बढ़ाई जाए खर्च की सीमा

Bihar Assembly Election बिहार में कोरोना संक्रमण के दौर में विधानसभा चुनाव होना है। बीजेपी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि कोरोना काल में चुनाव खर्च की सीमा बढ़ा दी जाए।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 08:46 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:50 PM (IST)
Bihar Assembly Election: चुनाव आयोग से BJP की मांग- कोरोना काल में बढ़ाई जाए खर्च की सीमा
Bihar Assembly Election: चुनाव आयोग से BJP की मांग- कोरोना काल में बढ़ाई जाए खर्च की सीमा

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Assembly Election: देश में कोरोना काल के बीच बिहार विधानसभा चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग तमाम एहतियात बरत रहा है। आयोग यह भी दो टूक कह चुका है कि चुनाव तय समय पर कराएगा। इससे पूर्व आयोग ने सुरक्षित चुनाव संपन्न कराने के लिए दलों से गत दिनों सुझाव मांगा था। आयोग ने सचिव ने बाकायदा मान्यता प्राप्त सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महासचिवों को पत्र लिखा था। 11 अगस्त तक राय देने की अंतिम समय सीमा समाप्त हो चुकी है। इसमें करीब-करीब सभी दलों ने अपने सुझाव से आयोग को अवगत कराया दिया है। इसी कड़ी में भाजपा ने चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है। हालांकि, पार्टी ने कोई राशि नहीं लिखी है। हां, कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर सैनिटाइजर, मास्क और शारीरिक दूरी सुनिश्चित करते हुए संपन्न होने वाले चुनाव प्रचार पर अधिक खर्च होने की ओर जरूर ध्यान आकृष्ट किया है।

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बीजेपी का चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने की मांग

अभी विधानसभा चुनाव में प्रत्येक प्रत्याशी को अधिकतम 28 लाख रुपये तक खर्च करने की अनुमति है। कोरोना के चलते भाजपा ने निर्वाचन आयोग से इस खर्च की सीमा को बढ़ाने की मांग की है। इसके अलावा पार्टी चाहती है कि चुनाव के दौरान घर-घर संपर्क की मोहलत और 50 के बजाय 100-200 लोगों की बैठक के लिए अनुमति मिले।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने किया सर्वाधिक खर्च

चुनाव और राजनीतिक सुधारों पर काम करने वाली संस्था, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्‍स (एडीआर) के बिहार प्रमुख राजीव कुमार मुताबिक 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सर्वाधिक खर्च करने वाली पार्टी रही थी। करीब 104 करोड़ रुपये भाजपा का चुनाव खर्च रहा था। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय की ओर से जहां 95 करोड़ रुपये ज्यादा चुनाव में खर्च के लिए दिया गया था। वहीं, प्रदेश इकाई ने 8 करोड़ रुपये ज्यादा चुनाव में खर्च किया था।

अभी दलों के चुनाव खर्च की कोई सीमा नहीं

बता दें कि फिलवक्त दलों के लिए चुनाव खर्च की कोई सीमा नहीं है। ऐसे में एडीआर ने चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों के लिए भी प्रत्याशियों की तरह चुनाव खर्च की सीमा तय करने का सुझाव दिया है। अगर 2015 के चुनाव की बात करें तो भाजपा ने कुल 165 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। इसमें अगर पार्टी द्वारा कुल खर्च किए गए राशि को प्रति प्रत्याशी बांटे तो खर्च 63 लाख रुपये गिरता है।

आयोग का खर्च भी कम नहीं

निर्वाचन आयोग की तैयारियों में भी कम खर्च नहीं है। आजादी के बाद जब देश में पहली बार चुनाव कराया गया था तो प्रति मतदाता महज 60 पैसे ही खर्च का ब्योरा मिलता है, जो 2015 तक आते-आते 25 से 30 रुपये तक हो गया। कोरोना की दुश्वारियों के चलते इस बार यह बढ़कर 55 से 60 रुपये तक जा सकता है।

28 लाख है खर्च की सीमा

विधानसभा के लिए प्रत्येक प्रत्याशी के अधिकतम खर्च की सीमा 28 लाख रुपये है, किंतु हकीकत में इससे बहुत ज्यादा राशि खर्च होती है।

ठीक नहीं बढ़ता खर्च

चुनाव पर बढ़ते खर्च को लोकतंत्र की हिफाजत के लिए अच्छा नहीं माना जा सकता है। राजनीतिक दल अगर अपनी विचारधारा के प्रचार, कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और कार्यक्रमों में खर्च बढ़ाते तो तर्कसंगत भी माना जा सकता था, किंतु सच्चाई है कि अधिकांश राशि मतदाताओं को प्रभावित करने में खर्च होती है। उनका मकसद होता है पानी की तरह पैसे बहाकर किसी तरह चुनाव जीतना। अर्थ प्रबंधन भी उनका अज्ञात होता है।

बिहार 2015 के चुनाव में प्रमुख दलों के खर्च का ब्यौरा

भाजपा- 104 करोड़ रुपये

कांग्रेस- 10 करोड़ रुपये

जदयू- 13 करोड़ रुपये

राजद- 01 करोड़ रुपये

(नोट : स्रोत- एडीआर)


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