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Bihar Assembly Election: बिहार में महागठबंधन के लिए चाहिए 422 सीटों की विधानसभा, जानें क्यों

बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं मगर महागठबंधन ने 422 पर दावा कर दिया है। इनमें अकेल 262 सीटें सिर्फ राजद के सहयोगी ही चाहते हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 08:56 PM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 03:53 PM (IST)
Bihar Assembly Election: बिहार में महागठबंधन के लिए चाहिए 422 सीटों की विधानसभा, जानें क्यों
Bihar Assembly Election: बिहार में महागठबंधन के लिए चाहिए 422 सीटों की विधानसभा, जानें क्यों

अरविंद शर्मा, पटना। बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं, लेकिन महागठबंधन के घटक दलों की महत्वाकांक्षा के आगे यह बौनी पड़ रही हैं। छोटे-छोटे दलों ने भी बड़ी-बड़ी अपेक्षाएं पाल रखी हैं। अभी सीटों की बढ़-चढ़कर दावेदारी का मौसम चल रहा है। कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता। सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि राजद के सहयोगी ही 262 सीटों पर दावा कर रहे हैं। अगर राजद की सीटों का दावा भी जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 422 पर ठहर रहा, जो संभव नहीं है। यह तय सीटों से 139 ज्यादा है। 

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सीट बंटवारे का मोर्चा राजद ने संभाल रखा है

फिलहाल सीट बंटवारे का मोर्चा राजद ने संभाल रखा है। किसे कितनी और कौन सी सीटें मिलेंगी, यह राजद प्रमुख लालू प्रसाद और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को तय करना है। ऐसे में सारे घटक दल राजद के सामने मत्था टेक रहे हैं। कांग्रेस भी लालू की ही मोहताज है। 

किसकी कितनी दावेदारी

दल     सीटों का दावा

राजद : 160 

कांग्रेस : 93

माले : 50

रालोसपा : 49 

वीआइपी : 25

भाकपा-माकपा : 45

कुल : 422

महागठबंधन में अभी छोटे-बड़े कुल सात दल

जीतनराम मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के हटने के बाद भी महागठबंधन में अभी छोटे-बड़े कुल सात दल हैं। राजद, कांग्रेस, रालोसपा, विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी), भाकपा, माकपा और माले। राजद सबसे बड़ा दल है, जिसके पास 80 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 26 और माले के पास तीन विधायक हैं। बाकी किसी दल के पास एक भी विधायक नहीं है, फिर भी मांगें छोटी नहीं हो रही हैं। 

लोकसभा चुनाव से पहले बदला रालोसपा प्रमुख ने पाला

पिछले चुनाव में रालोसपा के दो विधायक जीते जरूर थे, लेकिन वे आखिर तक पार्टी के साथ रह नहीं पाए। लोकसभा चुनाव से पहले जब रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने पाला बदला तो उनके सारे के सारे विधायक जदयू के साथ हो लिये। कुशवाहा अपने पुराने दिनों की वापसी के लिए फिर से प्रयासरत हैं। रालोसपा ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को 49 सीटों की सूची सौंपी है। लोकसभा चुनाव में तेजस्वी ने रालोसपा को पांच सीटें दी थीं। 

मुकेश सहनी की 25 सीटों की मांग

महागठबंधन की दूसरी पार्टी वीआइपी है, जिसके मुखिया मुकेश सहनी हैं। उन्होंने भी अपने लोगों के लिए 25 सीटों की मांग रखी है। राजद से मंशा भी जाहिर कर दी है। बिहार में वामपंथ के भी तीन दल सक्रिय हैं। भाकपा, माकपा और माले। उन्होंने भी अलग-अलग अच्छी संख्या में सीटों की दावेदारी कर रखी हैं। माले ने अलग से 50 सीटों की सूची राजद को सौंप दी है। भाकपा-माकपा ने मिलकर 45 सीटें मांगी हैं। तेजस्वी खुद माले के साथ गठबंधन चाहते हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपने हिस्से की 20 सीटों में से एक माले को देकर उपकृत किया था। इस बार भी तालमेल करने की पहल की है। 

भाकपा-माकपा के बारे में लालू प्रसाद का मानना है कि बिहार में उनका जनाधार नहीं है। इसी कारण राजद ने लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार के खिलाफ भी अपना प्रत्याशी उतार दिया था किंतु इस बार का सबक अलग है। किसी तरह दोनों को शामिल करने का प्रयास जारी है। महागठबंधन के लिए अच्छा हुआ कि जीतनराम मांझी ने पाला बदल लिया। नहीं तो उन्हें भी पर्याप्त हिस्सेदारी चाहिए थी। 

कांग्रेस सबसे बड़ी उलझन

राजद को सबसे बड़ी उलझन कांग्रेस को लेकर है। पिछले करीब 20 वर्षों से चुनाव दर चुनाव दोनों दल साथ चल रहे हैं, इसलिए गठबंधन को लेकर कोई संशय नहीं है, लेकिन सीट बंटवारे पर बात अभी तक बनी नहीं है। कांग्रेस ने चुनाव की तैयारी अपने बूते शुरू कर दी है। पिछली बार महागठबंधन में उसे 43 सीटें मिली थीं, जिनमें से 27 पर जीत मिली थी। अबकी यह संख्या बढ़ाने की तैयारी है। इस बार कांग्रेस 93 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। राजद की इच्छा खुद के पास कम से कम 160 सीटें रखने की है। सूत्रों का कहना है कि पहले राजद और कांग्रेस के बीच ही बंटवारा होगा। उसके बाद ही अन्य दलों को तरजीह दी जाएगी। 


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