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Bihar Assembly Election 2020: कोराना काल में बेचैन टिकटार्थी, फोन पर बात ही नहीं होती और पटना आने की मनाही

Bihar Assembly Election कोरोना के संक्रमण काल में चुनाव के कारण टिकटार्थी परेशान हैं। उनका अपने नेताओं से संपर्क मुश्किल हो गया है। ऐसे में वे करें तो क्‍या समझ नहीं पा रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 10:43 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 12:27 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: कोराना काल में बेचैन टिकटार्थी, फोन पर बात ही नहीं होती और पटना आने की मनाही
Bihar Assembly Election 2020: कोराना काल में बेचैन टिकटार्थी, फोन पर बात ही नहीं होती और पटना आने की मनाही

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Assembly Election 2020: कोरोना (CoronaVirus) काल में चुनाव (Election) की तैयारी के बीच टिकटार्थियों (Ticket Aspirants) की बेचैनी चरम पर है। संकट यह है कि जिनसे टिकट पर चर्चा करनी है उनसे बात संभव नहीं हो पा रही और अगर पटना आकर बात करना चाहते हैैं तो इसकी मनाही है। कोरोना की वजह से पार्टी दफ्तर (Party Office) फिर से बंद हो गए हैैं। ऐसे में टिकटार्थियों की बेचैनी का कोई इलाज ही नहीं। ऐसा नहीं कि कोई एक दल का मामला है यह। प्राय: सभी दलों के टिकटार्थियों में इसी किस्म की बेचैनी है।

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संपर्क सूत्र का आश्वासन भी शांत नहीं कर पा रहा

बेचैन टिकटार्थियों का हाल यह है कि अपने संपर्क सूत्र को वे लगातार फोन कर रहे हैं। संपर्क सूत्र उन्हें ऐसी स्थिति में पटना आने से रोक रहे हैं। यह बताया जा रहा कि पटना में पार्टी का प्रदेश कार्यालय तक बंद है। जिनसे मिलना है वे बाहर के लोगों से अभी घर पर नहीं मिल रहे। टिकटार्थियों को उनके संपर्क सूत्र लगातार आश्वासन दे रहे पर उनकी बेचैनी शांत नहीं हो रही। पटना आने की जिद और कब मिलेंगे इसकी तारीख तक पूछ रहे।

पटना में कुछ नहीं दिल्ली घूम आइए

एक दल के सुप्रीमो दिल्ली में रहते हैं। इसलिए संपर्क सूत्र को जब पटना में फोन किया जा रहा तो टिकटार्थी को यह समझाया जा रहा कि पटना आने से कुछ नहीं होगा, दिल्ली घूम आइए। टिकटार्थी दिल्ली जाने की तैयारी में है। यह पूछ रहे कि वहां उनकी मुलाकात उनके नेता से संभव है या नहीं। इस बारे में संपर्क सूत्र से कोई आश्वासन नहीं मिल पाने से भी बेचैनी है।

वर्चुअल संवाद में भी शामिल हुए पर बात कहां हुई

नए टिकटार्थियों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो काफी पहले से अपने नेताओं के वर्चुअल संवाद में सक्रिय हैं। पर इस मोड में संवाद कहां संभव है? दूसरी बेचैनी यह है कि क्षेत्र में कुछ लोग अपना टिकट कंफर्म मानकर सक्रिय हैं। यह चल रहा कि उन्हें कह दिया गया है कि आपको मिलेगा। ऐसे में वो क्या करें यह सोचकर नए टिकटार्थी कहां जाकर कैंप करें यह उन्हें समझ में नहीं आ रहा।


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