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बिहार में किसानों के लिए योजनाओं को पलीता लगा रहे बैंक, मंत्रियों की फटकार का भी असर नहीं

बैंकों के किसान विरोधी रवैये से कृषि मंत्री खफा राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में केसीसी योजना में हीलाहवाली का मामला किसान की अनदेखी को लेकर दी चेतावनी पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने ऋण वितरण नगण्य होने पर गुस्‍सा जताया

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 08:54 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 12:58 PM (IST)
बिहार में किसानों के लिए योजनाओं को पलीता लगा रहे बैंक, मंत्रियों की फटकार का भी असर नहीं
बिहार में लोन देने में बैंकों का रवैया सुस्‍त। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार में लोन देने में बैंकों की दोहरी नीति कोई नई बात नहीं है। बिहार के बैंक जमा लेने में तो आगे रहते हैं, लेकिन लोन देने के मामले में बहुत सुस्‍त हो जाते हैं। इसका सीधा असर प्रदेश के विकास और सरकार की योजनाओं पर पड़ता है। ऐसे मामलों में खुद मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) भी कई बार चिंता जता चुके हैं। बावजूद इसके कोई खास बदलाव नहीं दिखता। शुक्रवार को आयोजित राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की कृषि विभाग की उप समिति और पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के उप समिति की समीक्षा बैठक में भी यह मामला जोरशोर से उठा।

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डेयरी, मछली पालन और पॉल्‍ट्री के लिए लोन देने में लापरवाही

कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में किसान क्रेडिट कार्ड एवं कृषि-साख योजना की लचर स्थित को लेकर मंत्री ने बैंकों के प्रति सख्त नाराजगी जताई। राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक अजीत कुमार मिश्रा के जवाब पर मंत्री रोष प्रकट किया। कृषि एवं अन्य संबद्ध क्षेत्र के तहत डेयरी, मछली पालन और पॉल्ट्री में सिफर परिणाम को लेकर नाराजगी जताई।

बिहार में जमा पैसों का दूसरे राज्‍यों में हो रहा इस्‍तेमाल

कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में जमा हुए पैसे से बिहार का विकास नहीं होकर दूसरे राज्य का विकास किया जा रहा है, जो असहनीय है। बकौल अमरेंद्र प्रताप सिंह बैंकों को प्राथमिकता तय करनी होगी। बिहार के गरीब किसानों और अन्य क्षेत्रों से संबद्ध व्यक्तियों के लिए बनाए गए सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने में हीलाहवाली और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

किसानों की योजनाओं में लापरवाही पर चेताया

एग्रीकल्चर टर्म लोन, कृषि यांत्रिकरण, कृषि भंडारण सुविधा आदि में हुई कम उपलब्धि पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कृषि मंत्री ने बैंकों को दो टूक चेतावनी दी। सचेत करते हुए कहा कि इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई करने की पुरजोर आवश्यकता है।

लक्ष्‍य का केवल 16 फीसद ही बनाया गया केसीसी

कृषि मंत्री ने बैंक अधिकारियों को कहा कि बिहार में किसान क्रेडिट कार्ड का लक्ष्य 10 लाख है, जिसके विरूद्ध अब तक 1,70,086 किसान क्रेडिट कार्ड बनाया गया है, जो लक्ष्य का 16 फीसद है। इसी प्रकार राज्य में केसीसी का ऋण वितरण का लक्ष्य के विरूद्ध उपलब्धि मात्र 23 फीसद है, जो अत्यंत असंतोषजनक है।

पीएम-किसान योजना का बिहार में बुरा हाल

पीएम-किसान योजना के तहत किसान क्रेडिट कार्ड के लिए अब तक 469524 किसानों ने आवेदन किया है, जिनमें से विभाग द्वारा 3,70504 आवेदन बैंकों को अग्रसारित किया गया है। इस आवेदनों में से बैंकों द्वारा अबतक मात्र 50,678 आवेदन ही स्वीकृत किया गया है, जो 13.67 फीसद है।

राष्‍ट्रीय औसत से आधा है बिहार का साख-जमा अनुपात

उन्होंने कहा कि बिहार का साख जमा अनुपात लगभग 36.1 फीसद है, जो राष्ट्रीय साख-जमा अनुपात 76.5 का आधा से भी कम है। बैंक अधिकारियों को बिहार के साख जमा अनुपात को राष्ट्रीय स्तर से ऊपर ले जाने का निर्देश दिया। पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने ऋण वितरण नगण्य होने पर काफी क्षोभ व्यक्त किया गया।

सरकार की फटकार का बैंकों पर नहीं पड़ रहा असर

सचिव, कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग डॉ. एन सरवण ने कहा कि बैठक के बाद मामला ज्यों का त्यों बना रहता है। प्रगति जितनी होनी चाहिए वह नहीं हो पाता है। इसके लिए सघन अनुश्रवण की आवश्यकता है। सचिव ने सेंट्रल बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा ऋण प्रवाह में अच्छा कार्य करने पर सराहना की।

एसबीआइ और पीएनबी का रवैया सबसे अधिक खराब

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक की कार्यप्रणााली को लेकर सख्त नाराजगी जताई। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा की अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाएं। पशुपालन एवं मत्स्य पालन के लिए बैंक से ऋण में प्रगति कैसे हो उसपर सभी बैंकों से सुझाव मांगा गया।


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