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RTI से हुआ बड़ा खुलासा- जानिए किस तरह दलाल खा रहे गरीबों का निवाला

बिहार में आरटीआइ से खुलासा हुआ है कि खाद्य सुरक्षा स्कीम के तहत गरीबों को मिलने वाला अनाज बिचौलिये खा जा रहे हैं। बिहार के कई जिलों में अनाज वितरण में धांधली की बात सामने आई है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 10:18 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 10:58 PM (IST)
RTI से हुआ बड़ा खुलासा- जानिए किस तरह दलाल खा रहे गरीबों का निवाला
RTI से हुआ बड़ा खुलासा- जानिए किस तरह दलाल खा रहे गरीबों का निवाला

पटना [दीनानाथ साहनी]। खाद्य सुरक्षा स्कीम के तहत गरीबों को मिलने वाले अनाज को बीच रास्ते में बिचौलिये खा जा रहे हैं। सरकार ने गरीब परिवारों को अनाज मुहैया कराने का जिम्मा अफसरों को सौंप रखा है। मगर नीचे से ऊपर तक वितरण व्यवस्था के 'खेल' में सभी गरीबों को अनाज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

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गया और मधुबनी के बाद नवादा, बक्सर, भोजपुर, औरंगाबाद जिले में अनाज वितरण में डीलरों की मनमानी और अफसरों की लापरवाही सामने आई है। लोक सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के तहत प्राप्त जानकारी से इसका खुलासा हुआ है। 

सोशल ऑडिट को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल होगी याचिका

जाने-माने आरटीआइ कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने अनाज योजना में हर माह करोड़ों रुपये के घोटाले होने की आशंका जतायी है। उन्होंने नवादा, बक्सर, भोजपुर, औरंगाबाद जिले में आरटीआइ की अर्जी देकर कई सनसनीखेज मामले को सामने लाया है जिसके आधार पर किसी स्वतंत्र एजेंसी से अनाज योजना में व्याप्त गड़बड़ी की सोशल ऑडिट कराने की मांग को लेकर पटना हाईकोर्ट में लोकहित याचिका दाखिल करने की तैयारी की है।

आरटीआइ के इस खुलासे से पहले जदयू नेता और पूर्व विधायक मंजीत सिंह भी यह मांग कर चुके हैं कि राज्य सरकार को गरीबों के अनाज के इस गड़बड़झाले का टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंसेज जैसी किसी संस्था से सोशल ऑडिट कराना चाहिए।

हैरानी की बात यह कि मंजीत सिंह पिछले डेढ़ दो साल से लोक शिकायत निवारण कानून के तहत विभाग से तह में जाकर इसकी जानकारी हासिल करने में लगे हैं,  लेकिन नीचे से लेकर विभाग के आला अफसर तक कोई भी उनके सवालों को जवाब नहीं दे पा रहा है।

माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने आरोप लगाया है कि अनाज योजना में नई गड़बड़ी में नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसरों की संलिप्ता साफ है। यह खेल पहेली-सा बना है। अनाज योजना की सोशल ऑडिट होनी चाहिए।

आरटीआइ से खुली पोल

आरटीआइ कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय का कहना है कि केन्द्र सरकार राज्य के गरीबों को 55 लाख टन अनाज उपलब्ध कराती है। इसमें 22 लाख टन गेहूं और 33 लाख टन चावल मिलता है। सब खेल इसी का है।  

जब खाद्य सुरक्षा स्कीम लागू हुई तो प्रत्येक जिलों में अंत्योदय के कार्डधारियों की संख्या कम हो गई। इसमें अधिकांश के नाम प्रायोरिटी हाउस होल्ड में शामिल कर लिए गए हैं। इससे राज्य भर में अंत्योदय के कार्डधारियों की संख्या सात से आठ लाख कम हो गई है। इस प्रकार बचे अनाज को अफसर और बिचौलिये बाजार में बेच रहे हैं।

केन्द्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा-

'अनाज योजना में किसी प्रकार की अनियमितता की शिकायत है तो इसमें अफसरों पर कार्रवाई करने का पूरा अधिकार राज्य सरकार को है। राज्य सरकार जितना अनाज मांगती है उतना अनाज केन्द्र सरकार हर माह समय से उपलब्ध कराती है।

-रामविलास पासवान, केन्द्रीय खाद्य मंत्री 


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