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जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: तो इस वजह से बारिश में डूबा था पटना, जानिए कारण

बारिश के मौसम में पटना शहर जलमग्न हो गया था इसकी जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अफसरों की लापरवाही की वजह से एेसा हुआ था।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 11:54 AM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 03:08 PM (IST)
जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: तो इस वजह से बारिश में डूबा था पटना, जानिए कारण
जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: तो इस वजह से बारिश में डूबा था पटना, जानिए कारण

पटना, राज्य ब्यूरो। पिछले वर्ष सितंबर की भीषण बारिश में पटना डूब गया था। अब इस जलजमाव के दोषियों को चिन्हित कर लिया गया है। बारिश के पानी में राजेंद्र नगर के बड़े हिस्से में नाव चलाने की मजबूरी व अधिकतर मुहल्लों में जल जमाव की त्रासदी के कारणों की तलाश के लिए विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौैंप दी है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि पटना नगर निगम के तत्कालीन नगर आयुक्त अनुपम कुमार सुमन और बुडको के एमडी अमरेंद्र कुमार सिंह के बीच समन्वय के अभाव में पटना की दुर्दशा हो गयी। इन दोनों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में इंजीनियर व पटना नगर निगम के एक्जक्यूटिव ऑफिसर पर भी कार्रवाई की बात रिपोर्ट में कही गयी है।

नाला उड़ाही में लापरवाही का ठीकरा पीएमसी के एक्जक्यूटिव पर

जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि नाला उड़ाही में पटना नगर निगम (पीएमसी) के एक्जक्यूटिव अधिकारियों ने जबर्दस्त लापरवाही की है। पटना सिटी को छोड़ सभी जगह तैनात एक्जक्यूटिव अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है।

नाला उड़ाही के लिए भुगतान में भी बड़े स्तर पर गड़बड़ी

जांच कमेटी ने यह पाया है कि प्रति वर्ष नाला उड़ाही को ले किए जाने वाले भुगतान में जबर्दस्त गड़बड़ी की जा रही है। नाला उड़ाही के लिए होने वाला भुगतान संवेदक द्वारा मजदूरों की संख्या बताकर ले लिया जा रहा है। तकनीकी रूप से यह गलत है क्योंकि नाले की गहराई और चौड़ाई के हिसाब से गाद कितना निकाला गया, इस पर भुगतान होना चाहिए। निकाले गए गाद को निष्पादित करने की नीति भी स्पष्ट नहीं है।

संप हाउस की निविदा में भी खूब है घालमेल

जांच कमेटी ने अपनी अनुशंसा में यह साफ किया है कि पानी की निकासी के लिए प्रति वर्ष संप हाउस के लिए जो निविदा की जाती है,उसमें बड़े स्तर पर घालमेल किया गया है। जांच के क्रम में यह बात सामने आयी है कि तीन-चार एजेंसी के बीच लंबी अवधि से काम का बंटवारा होता रहा है। यह भी जांच का विषय है। 


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