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बिहार में बड़े फैसले की तैयारी, अब दलीय आधार पर चुने जाएंगे नगर निकायों के नुमाइंदे

साल 2021 में होने वाले नगर निकाय चुनाव दलीय आधार पर होना तय है। इसके लिए वर्तमान नगर निकाय कानून में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 04:26 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 07:12 PM (IST)
बिहार में बड़े फैसले की तैयारी, अब दलीय आधार पर चुने जाएंगे नगर निकायों के नुमाइंदे
बिहार में बड़े फैसले की तैयारी, अब दलीय आधार पर चुने जाएंगे नगर निकायों के नुमाइंदे

पटना, रमण शुक्ला। बिहार सरकार नगर निकाय कानून में संशोधन करने जा रही है। कानून में बदलाव का मसौदा नगर विकास एवं आवास विभाग ने तैयार कर लिया है। तय है कि शहरी क्षेत्र की जनता को अगले वर्ष नगर निकाय चुनाव में दलीय आधार पर नुमाइंदों को चुनने का मौका मिलेगा। 2021 में होने वाले नगर निकाय चुनाव में कई बदलाव की तैयारी है।

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विकास एवं प्रबंधन संस्थान की रिपोर्ट पर कवायद शुरू

सरकार ने विकास एवं प्रबंधन संस्थान (डीएमआइ) पटना की रिपोर्ट पर यह कवायद शुरू की है। डीएमआइ ने दलीय आधार पर चुनाव कराने संबंधित रिपोर्ट सौंपी हैं। ऐसे में नगर विकास एवं आवास विभाग ने रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद नगर पालिका कानून में कई बड़े बदलाव का मसौदा का तैयार किया है। इसमें दलीय आधार पर नगर निकायों का चुनाव सबसे अहम है। वर्तमान में देश के कई राज्यों में यह प्रावधान लागू है।

दलीय आधार पर चुनाव से मजबूत होंगे नगर निकाय

नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा का कहना है कि दलीय आधार पर चुनाव कराने को लेकर उच्च स्तर पर सहमति बन गई है। बकौल शर्मा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि दलीय आधार पर चुनाव होने से नगर निकायों को मजबूती मिलेगी। नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों के चुनाव संबंधित व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की तैयारी है। इस पहल से नगर निकायों के चुनाव में बड़े पैमाने पर हॉर्स ट्रेडिंग पर अंकुश लगेगा। वर्तमान में मुख्य पार्षद, उप मुख्य पार्षद, महापौर और उप महापौर को वार्ड सदस्य चुनते हैं।

बिहार में 143 नगर निकाय, 3377 शहरी वार्ड

बिहार में कुल 143 नगर निकाय हैं। इनमें 12 नगर निगम, 49 नगर परिषद और  82 नगर पंचायत शामिल हैं। अनमें कुल 3377 शहरी वार्ड हैं।

अविश्वास प्रस्ताव पांच साल में सिर्फ एक बार

कानून में बदलाव के बाद नगर निकायों के माननीय को पांच वर्ष में सिर्फ एक बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना होगा। वह भी ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद। वर्तमान में महापौर और उप महापौर के खिलाफ निर्वाचन के दो साल के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान है।

निकाय चुनाव में दलों की होगी सीधी भागीदारी

सरकार के इस पहले के बाद नगर निकायों के चुनाव में राजनीतिक दलों की सीधी भागीदारी होगी। पार्टियां प्रत्याशी घोषित करेंगी तथा सिंबल बांटेंगी।


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