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प्रदूषण नियंत्रण को CM नीतीश का बड़ा फैसला: सड़कों से हटेंगे 15 साल पुराने व्‍यावसायिक वाहन

बिहार की सड़कों से 15 साल पुराने व्‍यावसायिक वाहन नहीं चलेंगे। निजी वाहनों को नए सिरे से प्रदूषण नियंत्रण का प्रमाण पत्र लेना होगा।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 07:27 PM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 11:36 PM (IST)
प्रदूषण नियंत्रण को CM नीतीश का बड़ा फैसला: सड़कों से हटेंगे 15 साल पुराने व्‍यावसायिक वाहन
प्रदूषण नियंत्रण को CM नीतीश का बड़ा फैसला: सड़कों से हटेंगे 15 साल पुराने व्‍यावसायिक वाहन

पटना [जेएनएन]। बिहार में वायु प्रदूषण (Air Pollution) की बदतर स्थिति को देखते हुए राज्‍य सरकार (State Government) ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने 15 साल से अधिक पुराने सरकारी व व्‍यावसायिक वाहनों (15 years old Government and Commercial Vehicles) के परिचालन पर रोक लगा दी है। साथ ही निजी वाहनों (Private Vehicles) को प्रदूषण जांच (Pollution Check) कराना होगा। राज्‍य सरकार ने प्रदूषण पर रोक के लिए और भी कई बड़े फैसले लिए हैं। ये सभी फैसले आगामी सात नवंबर से लागू हो जाएंगे।

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बिहार सरकार ने लिए निर्णय 

बैठक में बिहार में 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहनों पर रोक लगा दी गई। इसके साथ-साथ पटना और आसपास के इलाके में अब 15 वर्ष से अधिक पुराने व्यावसायिक वाहन नहीं चलेंगे। 15 वर्ष से अधिक पुराने निजी वाहन को फिर से प्रदूषण से संबंधित फिटनेस प्रमाण पत्र लेना होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को पर्यावरण संबंधी भीषण समस्या पर उच्चस्तरीय बैठक में ये निर्णय लिए गए।

राज्‍य के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने मुख्यमंत्री की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि बड़ी संख्या में किरासन मिश्रित डीजल से वाहन चल रहे हैं। पटना में प्रदूषण की ये भी बड़ी वजह है। विशेष रूप से ऑटो रिक्शा और कुछ सिटी बसों में ऐसा हो रहा है। इसके लिए सख्ती से जांच अभियान चलाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सूबे के सभी ईंट-भट्ठों की जांच कर यह देखने का भी आदेश दिया कि वे प्रदूषण नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैैं या नहीं।

बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार यह भी सुनिश्चित करना है कि शहर से कचरा उठाने वाले वाहन ढंककर ही डंपिंग यार्ड तक ले जाए जाएं। मुख्‍यमंत्री ने पुराने डीजी सेट को पूरी तरह से प्रतिबंधित किए जाने को सख्त कार्रवाई का भी निर्देश दिया।

बैठक में पुआल जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने का भी निर्णय लिया गया। किसानों को पुआल जलाने पर कृषि से संबंधित सब्सिडी नहीं दी जाएगी। फसल अवशेष को जलाने से रोकने के लिए उसे जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोडऩा होगा।

ट्रक एसोसिएशन अध्‍यक्ष ने कही ये बात

उधर, सरकार के इस फैसले पर व्‍यावसायिक वाहनों के ऑपरेटर खुश नहीं दिख रहे। बिहार ट्रक एसोसिएशन के अध्‍यक्ष भानू प्रताप ने कहा कि इतने बड़े फैसले के पहले सरकार को समय देना चाहिए था। उन्‍होंने इसे इकतरफा  फैसला बताया। 

बिहार में वायु प्रदूषण चिंताजनक

विदित हो कि बिहार के प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक हो गई है। देश में सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले 10 शहरों में बिहार की राजधानी पटना भी शामिल हो गया है। राज्य के मुजफ्फरपुर और गया शहरों में भी स्थिति चिंताजनक है।

पटना में वायु प्रदूषण के मुख्‍य कारण

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) जारी किया। इसके अनुसार पटना में पीएम 2.5 का स्तर 428 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर हो गया है। इसका मुख्‍य कारण बाढ़ व बख्तियारपुर सहित आसपास के इलाकों में धान के पुआल (पराली) को जलाना है। पटना में केरोसिन या नकली डीजल से चल रहे ऑटो रिक्‍शा तथा पुराने वाहन भी प्रदूषण के बड़े कारण हैं। शहर में बिना ढके धूल वाले सामान या कचरा भी ढोया जाता रहा है। निर्माण कार्यों को भी नहीं ढ़कना वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रहा है।


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