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बिहार में कोविड के फर्जी जांच मामले में बड़ी कार्रवाई, सात ऑफिसर निलंबित, केंद्र सरकार ने मांगी रिपोर्ट

बिहार के जमुई जिले में कोविड-19 का फर्जी जांच मामले की गूंज राज्‍यसभा में भी सुनाई दी। मामले के खुलासे के बाद सिविल सर्जन सहित सात ऑफिसर निलंबित कर दिए गए हैं। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मंत्री ने अब सभी जिलों में जांच के आदेश दिए।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 11:45 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 06:13 AM (IST)
बिहार में कोविड के फर्जी  जांच मामले में बड़ी कार्रवाई, सात ऑफिसर निलंबित, केंद्र सरकार ने मांगी रिपोर्ट
स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मंत्री मंगल पांडेय ने बिहार के सभी जिलों में जांच के आदेश दिए सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । प्रदेश में कोरोना जांच (Covid-19 test) में फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद सरकार ने जमुई के सिविल सर्जन, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रतिरक्षण पदाधिकारी समेत सात लोगों को निलंबित कर दिया है। चार अफसरों पर मुख्यालय स्तर पर कार्रवाई की गई है, जबकि तीन पर जिला को बर्खास्त किया गया है। इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी चलेगी। इधर सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी जिलों में जांच के निर्देश भी दे दिए हैं।

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जमुई में कोरोना टेस्ट के आंकडे ज्‍यादा दिखाने के लिए फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है। कोरोना जांच के रिपोर्ट में नाम, उम्र एवं फोन नंबर में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। बिना टेस्‍ट के ही मनगढ़ंत नाम, पता और मोबाइल नंबर के सामने दस शून्‍य लिखकर आंकड़ा बढ़ा दिया है। शुक्रवार को यह मामला राज्यसभा में भी उठा। मामला सामने आने पर सरकार ने सख्त कदम उठाए और इन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।

मंत्री ने सभी जिलों में जांच के आदेश दिए

मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey)  ने सभी जिलों में जांच के आदेश दिए गए हैं। मंत्री पांडेय ने कहा कि इस मामले की जांच में यदि एएनएम या लैब टेक्नीशियन दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि कोविड-19 की जांच में जिन अधिकारियों की जिम्मेवारी थी, उनके स्तर पर लापरवाही बरती गई है। इसके बाद इन्हें निलंबित किया गया है। जिन पदाधिकारियों को निलंबित किया गया है उनमें जमुई के सिविल सर्जन डॉ. विजेंद्र सत्यार्थी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जमुई सह इम्युनाइजेशन अफसर डॉ. विमल कुमार चौधरी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सिकंदरा डॉ. साजिद हुसैन, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बरहट डॉ. एनके मंडल हैं। इसके अलावा जिलों के तीन स्वास्थ्य मैनेजर को बर्खास्त किया गया है।

जांच के लिए बनाई गई 12 टीमें

कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े के मामले के जोर पकड़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मंत्री के निर्देश पर अलग-अलग 12 टीमों का गठन किया है। इन टीमों की जिम्मेदारी होगी कि वे संबंधित जिले में कोरोना टेस्ट के आंकड़ों की जांच करें और रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपे। यदि इस दौरान जांच में कोई गड़बड़ पाई जाती है तो टीम अपनी रिपोर्ट में सरकार से कार्रवाई की अनुशंसा भी करेगी। इधर मंत्री ने स्वास्थ्य के प्रधान सचिव प्रत्‍यय अमृत को निर्देश दिए हैं कि वे सभी जिलाधिकारियों से जांच की रिपोर्ट प्राप्त करें।

विनय बनाए गए जमुई के सिविल सर्जन

स्वास्थ्य विभाग ने जमुई के सिविल सर्जन के बाद वहां नये सिविल सर्जन की नियुक्ति भी कर दी है। स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश के मुताबिक मुजफ्फरपुर के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार शर्मा को जमुई का सिविल सर्जन बनाया गया है। डॉ. खुशतर अजमी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकंदर और डॉ. मनोज कुमार यादव को बरहट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बनाया है।

केंद्र सरकार ने फर्जीवाड़ा प्रकरण की रिपोर्ट मांगी

बिहार में कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े की गूंज राज्यसभा में भी सुनाई दी। जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राज्य सरकार से पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तलब की है। स्वास्थ्य सूत्रों ने बताया कि मंत्री ने बिहार सरकार से जमुई में किस प्रकार से जांच में फर्जीवाड़ा किया इसकी रिपोर्ट और सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है।


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