भारतेंदु की अंगुली पकड़कर जवान हुई 'हिदी', राजाजी ने किया श्रृंगार
खड़ी बोली से शुरू होकर आगे बढ़ी आधुनिक हिदी अपने समय के महान साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की बहुत बड़ी आभारी है
पटना। खड़ी बोली से शुरू होकर आगे बढ़ी आधुनिक हिदी अपने समय के महान साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की अंगुली पकड़कर जवान हुई। दूसरी तरफ हिदी के जिन कवियों और कथाकारों ने इसके बालों में कंघी की, शब्द-पुष्पों और भावों से श्रृंगार किया, उनमें महान कथा-शिल्पी राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह का नाम सबसे आगे है। राजाजी कथा-लेखन में अपनी अत्यंत लुभावनी शैली के कारण हिंदी कथा साहित्य में 'शैली-सम्राट' के रूप में स्मरण किए जाते हैं। उनकी कहानिया अपनी नजाकत भरी भाषा और रोचक चित्रण के कारण पाठकों को मोहित करती हैं। ये बातें आज बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में भारतेंदु और राजाजी के संयुक्त जयंती-समारोह में वक्ताओं ने कहीं।
कार्यक्रम के दौरान साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ, डॉ. शिववंश पांडेय, नृपेंद्रनाथ गुप्त, डॉ. मधु वर्मा, अमीयनाथ चटर्जी तथा अंबरीष कात ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। इस मौके पर कवि-सम्मेलन भी आयोजित किया गया। कवि-सम्मेलन का आरंभ राज कुमार प्रेमी की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवयित्री डॉ. मधु वर्मा ने अपनी कविता 'खंडित शिला' का पाठ करते हुए कहा- 'राम तुमने शिला से अहिल्या क्यों बनाया? देव लोक में जब मेरे सतीत्व की रक्षा नहीं हो सकी तो अब इस घोर कलियुग में, कौन करेगा अहिल्याओं की रक्षा?' शुभ चंद्र सिन्हा का कहना था कि 'मेरी जिंदगी के आईन में तमाम शायद लिख देना, खारों के लिए नहीं बदली बहारों ने रवायत लिख देना'। अपने अध्यक्षीय काव्य-पाठ में डॉ. सुलभ ने अपने गीत - 'अर्थ बन कर मेरे गीत में ढल गए/ गंध सा वो मेरे भाव में घुल गए' का सस्वर पाठ किया। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डॉ. मनोज गोवर्द्धनपुरी, डॉ. विनय कुमार विष्णुपुरी, शुभ चंद्र सिन्हा, अजय कुमार सिंह, प्रभात कुमार धवन, जनार्दन मिश्र 'जलज', राज किशोर झा, आशुतोष कुमार सिंह, विनय चंद्र, कवयित्री रागिनी भारद्वाज, नम्रता कुमारी तथा शिवानंद गिरि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन सम्मेलन के अर्थ मंत्री योगेंद्र प्रसाद मिश्र ने तथा कृष्ण रंजन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।