भक्त चरण दास ने कहा- पश्चिम बंगाल में भाजपा की स्थिति खराब, बूथ प्रबंधन से जुटी है खेल बिगाड़ने में
कांग्रेस के बिहार प्रभारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरण दास ने कहा है कि पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव पर किसान आंदोलन का असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा बूथ मैनेजमेंट से खेल बिगाड़ने का प्रयास कर रही है।
राज्य ब्यूरो, पटना। कांग्रेस (Congress) के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में शीघ्र पार्टी किसान पंचायत लगाएगी। किसानों को जागरूक कर लें तो बिहार बंद भी होगा। प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि विधि व्यवस्था (Law and Order) चौपट हो गई है। तीन दिनों में 13 हत्याएं हु़ई। पुलिस वाले भी मारे जा रहे हैं। कांग्रेस चाहती है कि शराब नहीं बिके, लेकिन इसका अवैध व्यापार रुकना चाहिए।
भाजपा और जदयू खींचने लगे एक-दूसरे का पैर
बिहार में एनडीए सरकार पर तंज कसते हुए भक्त चरण दास ने कहा कि चंद दिनों में ही भाजपा और जदयू एक दूसरे के पैर खींचने में लग गए हैं। भक्तचरण दास शनिवार को कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से रूबरू थे। उन्होंने कहा कि किसान सत्याग्रह यात्रा के तहत वह अब तक 29 जिलों का दौरा कर चुके हैं। तीसरे चरण में शेष जिलों की यात्रा होगी। जनता में गजब का उत्साह है। किसान तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह से जान गए हैं। वह लंबी लड़ाई को तैयार है।
चुनाव पर पड़ेगा किसान आंदोलन का असर
उन्होंने बंगाल चुनाव के बारे में कहा कि जिन पांच प्रदेशों में चुनाव होना है वहां किसान आंदोलन का प्रभाव पड़ेगा। लेकिन भाजपा को वोट पर नहीं बूथ और मतगणना प्रबंधन पर भरोसा रहता है। इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा के अलावा कौकब कादरी, आनंद माधव, चंदन यादव और राजेश राठौर उपस्थित भी थे।
मिथिला क्षेत्र पूछेगा जनप्रतिधिनयों से सवाल: प्रेमचंद्र
एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि मैथिली की पढ़ाई स्कूलों में कराने को लेकर मिथिला क्षेत्र के लोग जनप्रतिनिधियों को माफ नहीं करेंगे। सत्ताधारी दल के नेताओं से जनता सवाल करेगी। उन्होंने कहा कि बजट पर संशोधन के रूप में उन्होंने प्रस्ताव दिया तो सरकार ने स्वीकार कर लिया। लेकिन 48 घंटे में ही सरकार पलट गई। उन्होंने विधान परिषद में इससे जुड़ा एक गैर सरकारी संकल्प लाया तो सरकार इसे वापस लेने का दबाव बनाने लगी। वापस नहीं लेने पर सदन में इसे वोटिंग कर गिरा दिया गया। मिथिला क्षेत्र के जिन सत्ताधारी नेताओं ने इसके खिलाफ वोट किया उनसे तो लोग सवाल पूछेंगे? सरकार से भी जवाब मांगेंगे।