भाई-बहन के प्रेम व बलिदान की कहानी कहता यह मंदिर, यहां पेड़ में बांधी जाती राखी
बिहार के सिवान में भाई-बहन के प्रेम व बलिदान को समर्पित एक अद्भुत मंदिर है। रक्षा बंधन के दिन वहां भारी भीड़ उमड़ती है। बहनें वहां राखी चढ़ाकर भाइयों की कलाई में बांधती हैं।
पटना [अमित आलोक]। मंदिर में भगवान की पूजा होती है। लेकिन बिहार के सिवान में एक अनोखा मंदिर है। भाई-बहन के प्रेम व बलिदान की स्मृति में बने इस प्राचीन 'भैया-बहिनी मंदिर' में रक्षा बंधन के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु यहां स्थित एक खास पेड़ में राखी बांधते हैं। बहनें यहां राखी चढ़ाकर भाइयों की कलाई में बांधती हैं।
सीवान के दारौंदा प्रखंड के भीखाबांध स्थित 'भैया-बहिनी मंदिर' में वैसे तो पूरे साल श्रद्धालु आते रहते हैं, लेकिन श्रावण पूर्णिमा और भाद्र शुक्ल पक्ष अनंत चतुर्दशी के दिन यहां की रौनक देखते बनती है। सीवान सहित आसपास के जिलों के श्रद्धालु ही नहीं, पूरे बिहार से लोग आते हैं। इन खास दिनों पर उत्तर प्रदेश व झारखंड सहित अन्य राज्यों से भी हजारों श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर से जुड़ी है ये कहानी
भाई-बहन के प्रेम व बलिदान के प्रतीक इस मंदिर से एक कहानी जुड़ी है। अनुश्रुतियों के अनुसार मुगल शासन काल में एक व्यक्ति अपनी बहन को रक्षा बंधन के दो दिन पूर्व उसके ससुराल (भभुआ) से विदा कराकर घर ले जा रहा था। भीखाबांध के समीप मुगल सैनिकों की नजर उनपर पड़ी।
मुगल सिपाही डोली को रोककर उसकी बहन के साथ बदतमीजी करने लगे। इसपर भाई उनसे युद्ध करने लगा। सिपाहियों से लड़ते-लड़ते वह मारा गया। इसके बाद असहाय बहन ने भगवान को पुकारा। कहा जाता है कि धरती फटी और दोनों भाई-बहन धरती में समा गए। डोली लेकर चल रहे कहारों ने भी बगल के कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी थी।
अनुश्रुति है कि जहां भाई-बहन धरती में समाए थे, वहीं दो बरगद के पेड़ उग आए। दोनों वृक्षों को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि भाई अपनी बहन की रक्षा कर रहा है। ये वृक्ष अब करीब पांच बीघा क्षेत्र में फैल गए हैं।
इन दोनों पेड़ों के स्थान पर लोगों ने मिट्टी का मंदिर बना दिया। कालक्रम में यहां श्रद्धालुओं ने पक्के मंदिर का निर्माण कराया।
बलिदान स्थल के प्रति असीम आस्था
भाई-बहन के इस बलिदान स्थल के प्रति लोगों में असीम आस्था है। रक्षा बंधन के दिन यहां पेड़ में भी राखी बांधी जाती है। लोग यहां राखी चढ़ाकर भी भाइयों की कलाई में बांधते हैं। कहते हैं कि यहां मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं।