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बंगाल चुनाव में कई दलों का खेल बिगाड़-बना सकता है बिहार, आसान नहीं होगी ममता बनर्जी की राह

पश्चिम बंगाल में अप्रैल से मई के बीच विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। बिहार के कई दलों की सीधी सक्रियता रहेगी। तैयारियां चल रही हैं। जदयू और हम ने प्रत्याशी उतारने का एलान कर दिया है। जानें बिहार का बंगाल चुनाव में क्या रहेगा असर-

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 06:33 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 08:29 AM (IST)
बंगाल चुनाव में कई दलों का खेल बिगाड़-बना सकता है बिहार, आसान नहीं होगी ममता बनर्जी की राह
बिहार के सत्ता संघर्ष की आंच बंगाल की खाड़ी तक जा सकती है।

अरविंद शर्मा, पटना। बिहार के सत्ता संघर्ष की आंच अभी धीमी नहीं हुई है। इसे बंगाल की खाड़ी तक जाना है। विधानसभा चुनाव में जो कोर-कसर बाकी रह गई है, उसे पश्चिम बंगाल में चुकता करना है। वहां अप्रैल से मई के बीच विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। बिहार के कई दलों की सीधी सक्रियता रहेगी। तैयारियां चल रही हैं। जदयू और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने प्रत्याशी उतारने का एलान कर दिया है। बिहार में कांग्रेस और वामदलों के साथ गठबंधन के चलते राजद की बंगाल में आमदरफ्त बढ़ेगी। तेजस्वी यादव को प्रचार के लिए बुलाया जा सकता है। 

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हैदराबाद से बाहर बिहार में पहली बार अप्रत्याशित जीत से प्रेरणा-प्रोत्साहन लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने भी कई सीटों पर तैयारी कर रखी है। मुस्लिम बहुल और बिहार के सीमावर्ती इलाकों के परिणाम को वह काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं। तृणमूल कांग्रेस के किले में सेंध लगा सकते हैं। सत्तारूढ़ दल के आधार वोटों को विभाजित करके ममता बनर्जी का खेल बिगाड़ सकते हैं। 

वर्ष 2016 के चुनाव में बिहार में सक्रिय दलों का बंगाल में प्रदर्शन 

दल : प्रत्याशी : जीत : वोट

भाकपा : 11 : 1 : 7.91 लाख 

जदयू : 2 : 0 : 40.32 हजार 

राजद : 1 : 0 : 15.63 हजार

लोजपा : 19 : 0 : 13.20 हजार

राजद का रुख अभी साफ नहीं

हालांकि राजद का रुख अभी साफ नहीं है। दल में असमंजस की स्थिति है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के ममता बनर्जी से अच्छे ताल्लुकात हैं, जबकि बिहार में कांग्रेस एवं वामदलों के साथ राजद की दोस्ती है। ऐसे में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के लिए किसी एक का चयन आसान नहीं होगा। राजद ने 2011 में एक सीट भी निकाली थी। अबकी कांग्रेस एवं वामदलों से गठबंधन में कुछ सीटें हासिल करने का प्रयास है। जदयू की आगे की रणनीति 26-27 दिसंबर को पटना में प्रस्तावित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय होगी। जदयू ने 75 सीटों पर चुनाव लड़ने का लगभग एलान कर दिया है। ऐसा हुआ तो भाजपा के साथ जदयू का मुकाबला भी तय है। परिणाम चाहे जो निकले। 

बंगाल में भी है एक बिहार

एक बिहार पड़ोसी राज्य में भी बसता है। कोलकाता और सीमावर्ती इलाकों के कई शहरों में बिहारियों की बड़ी आबादी है। पटना में जन्मे एवं पले-पढ़े बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री विधानचंद्र राय से लेकर आरा मूल के अर्जुन सिंह तक कई बड़े नेताओं की राजनीति में भी अच्छी-खास दखल रही है। अर्जुन सिंह अभी भाजपा के सांसद हैं, जो बैरकपुर संसदीय क्षेत्र से लगातार जीतते आ रहे हैं। बंगाल सरकार के मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला भी बिहारी मूल के हैं। राजनीति में आने से पहले वह क्रिकेटर थे। इनके अतिरिक्त भी बिहारी मूल के कई विधायक और सांसद हैं। बंगाल के चार जिले बिहार-झारखंड से सटे हैं। मुर्शिदाबाद, मालदा, दिनाजपुर और बीरभूम जिले में मुस्लिमों की आबादी 40 से 70 फीसद तक है। कोलकाता के आसपास के शहरों में भी बिहारियों की खासी तादाद है।


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