जंक्शन के भिखारियों को समाजसेवियों का इंतजार
कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया है। ऐसे में भिखारी भूखे पेट सोने को मजबूर हैं।
पटना: कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया है। लॉकडाउन का सबसे अधिक असर राजधानी के उन भिखारियों व लावारिसों पर देखने को मिल रहा है। आम नागरिक को तो किसी न किसी तरह दो जून की रोटी नसीब हो जा रही है, परंतु इन भिखारियों को देखने वाला कोई नहीं।
पिछले चार दिन से भोजन नसीब नहीं हो रहा है। पानी भी बमुश्किल मिल पा रहा है। पहले स्टेशन के अंदर उन्हें आश्रय मिला था। लॉकडाउन होने के बाद उन्हें बाहर निकाल दिया गया। इनमें से एक भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया तो पूरे शहर को इसकी परेशानी उठानी पड़ेगी। ऐसे में लॉकडाउन की सफलता को संदेह के कठघरे में खड़ा कर रहे हैं ये भिखारी। जंक्शन के बाहर महावीर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा इन भिखारियों को दोनों शाम भोजन मुहैया करा दिया जाता था। भिखारियों की मानें तो पहले इतना अधिक भोजन मिल जाता था कि वे लोग छोड़ देते थे। आज किसी रहनुमा ने उन्हें चूड़ा-गुड़ दिया है, जिसे वे पुड़ी-मिठाई से भी अधिक बेहतर भोजन मान रहे हैं। राजधानी में ऐसा कोई रैन बसेरा भी नहीं जहां जाकर वे लोग शरण भी ले सकें। अभी यह संकट लंबा चलने वाला है। ऐसे में उन्हें अपनी जान बचाने पर खतरा दिख रहा है। शहर में कहीं भी उन्हें शरण नहीं मिल रही। पुलिस भी सड़कों पर देखकर उन्हें खदेड़ रही है। ऐसे में उनका कहना है कि आखिर जाएं तो कहां। घर से निकलने की मनाही के कारण लोग भी उनतक नहीं पहुंच रहे हैं।