ताला तोड़कर सड़कों से लाखों के डस्टबिन ले उड़े चोर, नगर निगम को नहीं लगी भनक
पटना में प्रकाश पर्व के दौरान पूरे शहर में करीब 700 खूबसूरत स्टील के डस्टबिन लगाए गए थे। इन्हें जंजीरों में जकड़ स्टैंड पर लगाया गया था। लेकिन कुछ ही दिनों में ये गायब हो गए। जानिए
पटना [नलिनी रंजन]। बिहार में खूब धूमधाम से गुरु गोबिंद सिंह के 150वें प्रकाश पर्व का समारोह मनाया गया। इसके लिए पटना शहर को खूब सजाया गया था और देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के रहने और खाने-पीने का बहुत ही अच्छा इंतजाम किया गया था।
इस दौरान शहर के प्रमुख मार्गों पर करीब सात सौ स्टील के खुबसूरत से डस्टबिन लगाए थे, इसमें से करीब 40 फीसद डस्टबिन गायब हो गए हैं, जिन्हें जंजीरों में जकड़ कर रखा गया था। मजे की बात है कि इतने डस्टबिन शहर से गायब हो गए लेकिन पटना नगर निगम को इसकी भनक तक नहीं लगी। जब इसका खुलासा हुआ तो जानकर अब नगर निगम भी हैरान है।
अब लाखों रुपये की कीमत के डस्टबिन के गायब होने पर निगम जांच की बात कह रहा है, जांच की जाएगी फिर पता लगा जाएगा तब तक क्या होगा इस बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि अब निगम में नए सिरे से छोटे, मध्यम और बड़े डस्टबिन की खरीद की प्रक्रिया चल रही है। यह खरीदारी केंद्र सरकार के जैम पोर्टल से की जाएगी।
सात सौ स्टील के डस्टबिन की हुई थी खरीदारी
बताया जा रहा है कि पटना नगर निगम की ओर से लगभग सात सौ स्टील के डस्टबिन की खरीदारी हुई थी। ये शहर के बेली रोड, गांधी मैदान, अशोक राजपथ, ओल्ड बाईपास व पटना सिटी अंचल के विभिन्न इलाकों में लगाए गए थे। इनमें वन, टू और थ्री के वॉल्यूम में छोटे-छोटे स्थायी डस्टबिन लगाए गए थे।
जानकारी के मुताबिक एक साल में गांधी मैदान, अशोक राजपथ, पटना सिटी सहित लगभग 40 फीसद जगहों से स्टील के डस्टबिन की बाल्टी चोरी हो गई हैं। इसमें अधिसंख्य जगहों पर अब केवल डस्टबिन की रॉड ही दिखाई दे रही है और कहीं-कहीं जंजीर और ताले खुले पड़े हैं डस्टबिन का पता नहीं है।
अब छोटे, मध्यम और बड़े डस्टबिन की होगी खरीदारी
चोरी की घटना के बाद अब नगर निगम शहर में कूड़ा नियत जगह पर फेंकने के लिए हर पांच सौ मीटर पर डस्टबिन लगाने की कवायद कर रहा है। इसके लिए डस्टबिन की खरीदारी की प्रक्रिया चल रही है। नगर निगम की साधारण बोर्ड में केंद्र सरकार के जैम पोर्टल से इनकी खरीदारी के लिए अनुमति दे दी गई है।
शहर में कुल 27 हजार डस्टबिन लगाने की है जरूरत
जानकारी के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के गाइडलाइन के अनुसार राजधानी में कम से कम 27 हजार डस्टबिन होने चाहिएं, लेकिन अब तक इसकी खरीदारी नहीं की गई है। अब एक बार फिर से नए सिरे से शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद की जा रही है। वर्ष 2015-16 में शहर में काफी संख्या में बड़े-बड़े डस्टबिन की खरीदारी हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे वे नष्ट हो गए।
अलग-अलग उठेगा गीला व सूखा कचरा
नई सफाई व्यवस्था के तहत अब सफाई मजदूर राजधानी के घरों में दो रंग का डस्टबिन लेकर जाएंगे। एक नीले रंग और दूसरा हरे रंग का होगा। इसके लिए डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने वाले मजदूरों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। एक डस्टबिन में गीला और दूसरे में सूखा कूड़ा रखा जाएगा।
क्या है गीला कचरा
हरे रंग के डस्टबिन में सब्जी, फल व अंडे के छिलके रखे जाएंगे। खाने के बाद बची सामग्री को भी इसी में डालना होगा। चिकेन और मछली से निकली हड्डियां, सड़े हुए फल और सब्जी, चायपत्ती और कॉफी के अवशेष, पेड़ों के नीचे गिरी पत्तियां, सड़क पर बिखरे फूल-पत्ती आदि को हरे रंग के डस्टबिन में रखना है। जबकि नीले रंग के डस्टबिन में सभी तरह का सूखा कचरा रखा जाएगा।
कहा-पटना नगर निगम की मेयर ने
राजधानी को स्वच्छ बनाने के लिए निगम को यांत्रिकीकृत किया जा रहा है। इसी कड़ी में शहर में पर्याप्त संख्या में डस्टबिन की खरीदारी की जानी है। दो-तीन महीने में जिन सड़कों या गलियों में डस्टबिन नहीं हैं, वहां जल्द ही डस्टबिन लगवा दिए जाएंगे।
- सीता साहू, मेयर, पटना नगर निगम।
कहा-उप नगर आयुक्त ने
स्टील डस्टबिन आखिर किस तरह से लगाए गए थे कि गायब हो गए। इसकी जांच कराई जाएगी। जरूरत पडऩे पर पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई जाएगी।
- विशाल आनंद, उप नगर आयुक्त।