गीता को पढ़कर ही बापू ने दिलाई आजादी
इंट्रो : श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से लोगों की धर्म के प्रति आस्था को सुदृढ़ करने के ।
इंट्रो :
श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से लोगों की धर्म के प्रति आस्था को सुदृढ़ करने के साथ ही सामाजिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने वाले कथा मर्मज्ञ देवकीनंदन ठाकुर की बात निराली है। देश के हर कोने में होने वाली भागवत कथा लोगों के घर-घर तक पहुंचाने वाले देवकीनंदन देश में नशे के साम्राज्य, गंगा की दुर्दशा और गीता ग्रंथ को लेकर अपनी बात से लोगों को संदेश देते हैं। गर्दनीबाग स्टेडियम में विश्व शांति सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान विभिन्न मुद्दों पर उन्होंने अपनी बात साझा की। पेश है प्रभात रंजन की उनसे हुई बातचीत के संक्षिप्त अंश-
बिहार में शराबबंदी को लेकर आपकी राय?
- बिहार में शराबबंदी के लिए नीतीश सरकार को साधुवाद। यह काम बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। शराब के नशे से सबसे ज्यादा युवा प्रभावित होते हैं। जिस राज्य के युवा नशे की गिरफ्त में हों उस राज्य का विकास कैसे हो सकता है? नशे के कारण लोग आलसी हो जाते हैं और उनका मस्तिष्क संतुलन बिगड़ जाता है। देश में ऐसा कानून बने जहां नौजवानों को शराब पीने को नहीं मिले। इसके लिए राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को आगे बढ़ना होगा। शराब पिलाकर अगर देश का विकास हो तो यह गलत है।
कोर्ट में गीता को लेकर कसम खिलाई जाती है, यह कितना उचित है?
- गीता का पाठ बच्चों को स्कूलों में पढ़ाया जाए तो उनका चरित्र निर्माण होगा। तब कोर्ट में आकर लोग गीता पर हाथ रखकर झूठी कसम न खाएंगे। कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर कसम खिलाना सामान्य प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य है कि गवाही देने वाला अपनी बातों को सच के साथ रखे। लेकिन, ऐसा नहीं होता। गीता पर हाथ रखकर झूठी कसम खाने वाले वैसे अपराधी भी होते हैं जिन्होंने अपने माता-पिता को मार डाला हो, संगीन अपराध किए हों। यही गीता बचपन में पढ़ा दी जाए तो लोग अपराध नहीं करने के प्रति प्रेरित होंगे। गांधी ने भी अपने जीवन काल में गीता का अध्ययन किया और फिर उसे पढ़कर अपने जीवन में उतारा। उन्होंने गीता पढ़कर ही देश को आजादी दिलाई। इसे पढ़कर अपराध 50 फीसदी कम हो जाएंगे। अगर गीता की बात गलत है तो बापू भी गलत हैं और अगर बापू गलत हैं तो हमारा संविधान भी गलत है।
गंगा को कैसे बचाया जा सकता है?
- गंगा को बचाने में सभी का साथ होना जरूरी है। आज से सौ साल पहले गंगा को लेकर इतनी बात नहीं होती थी क्योंकि लोगों को गंगा में अपनी मां के दर्शन होते थे। लेकिन, आज लोगों की मानसिकता दूषित हो चुकी है। ऐसे में गंगा सिर्फ नदी बन कर रह गई है। यह नदी किसी खास वर्ग और समुदाय की नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति की है। इसे बचाकर रखने की जिम्मेदारी पूरी मानव जाति पर है। गंगा के प्रति जागरूक होंगे तभी अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ बचा सकते हैं। गंगा को अगर अपना मानने लगें तो सारी समस्या दूर हो जाएगी।
फिल्म बनाने वालों को धर्म और संस्कृति के बारे में जानकारी होनी चाहिए, इस बारे में आप क्या सोचते हैं?
- फिल्म बनाने वाले निर्माताओं को देश की धर्म-संस्कृति के बारे में पूरी जानकारी रखनी होगी। फिल्म का माध्यम सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि ज्ञान देने के लिए भी है। धर्म को लेकर उल्टा-सीधे दृश्य दिखाना और जनता को भ्रमित करना ठीक नहीं है। फिल्म बनाने वाले का सिर्फ एक ही मकसद होता है- अर्थ उपार्जन करना, और उस पैसे से फिर दूसरी फिल्म बनाना। ऐसे में निर्माताओं को सोच समझकर काम करने की आवश्यकता है।