आतंकियों ने अल्फाबेट में बांट लिए थे शहर, बेस बनाकर करनी थी वारदात
सुरक्षा एजेंसियों की पटना जंक्शन में पकड़े गए आतंकियों से पड़ताल में पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है।
By Edited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 01:06 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 08:41 AM (IST)
पटना, जेएनएन। पटना जंक्शन से दबोचे गए आतंकी संगठन जमीयत उल मुजाहिद्दीन और इस्लामिक स्टेट बांग्लादेश के सक्रिय सदस्य खैरूल मंडल, अबू सुल्तान और शरियत मंडल ने बिहार एटीएस के सामने कई खुलासे किए हैं। सूत्रों की मानें तो उनके टास्क में सबसे पहले छोटे (यानी सी टाउन) और मंझले (मतलब बी टाउन) शहरों में संगठन का जाल बिछाना था। इसके बाद महानगरों यानी (ए टाउन) में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना था।
छोटे शहर को पहले बनाना था टारगेट
पूछताछ के दौरान आतंकियों ने बताया कि आकाओं ने उनलोगों को निर्देश दिया था कि वे लोग भारत के छोटे और मंझले शहरों में सबसे पहले अपना नेटवर्क तैयार करें। इसके बाद बड़े शहरों को टारगेट में लेना था। क्योंकि बड़े शहरों में सुरक्षा एजेंसियां काफी सक्रिय रहती हैं। लिहाजा उन जगहों में पहले बेस बनाना खतरे से खाली नहीं है। यही वजह है कि वे लोग बिहार के गया, पटना और सीमावर्ती इलाकों में अपना नेटवर्क तैयार करने के लिए पहुंचे थे। उनके दूसरे साथी भी देश के मंझले और छोटे शहरों से ही आतंकी संगठन का विस्तार करने गए हैं।
मुंबई और पुणे में नेटवर्क
यही वजह है कि शरियत मुंबई न जाकर पुणे में ही संगठन का नेटवर्क फैला रहा था। उसके और साथी इसी प्रकार के शहरों में सक्रिय हैं। वे लोग भारत में काफी लंबी प्लानिंग के बाद यहां पहुंचे थे। यहां के युवाओं का ब्रेन वॉश कर उन्हें संगठन से जोड़कर उनसे आतंकी घटनाओं को अंजाम दिलाने की साजिश थी।
साथी बदल चुके हैं ठिकाना
गौरतलब है कि तीनों आतंकियों को रिमांड पर लेकर एटीएस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। धीरे इनसे मिले इनपुट के आधार पर देश की सुरक्षा एजेंसी और बिहार एटीएस आगे की कार्रवाई करने में जुटी है। इनके अन्य साथियों की तलाश में लगातार छापेमारी की जा रही है। तीनों आतंकियों की गिरफ्तारी की खबर के बाद इनके और साथी अपना ठिकाना बदल चुके हैं। क्योंकि जब इनकी निशानदेही पर एटीएस छापेमारी करने पहुंची तो वे लोग वहां से फरार मिले।
छोटे शहर को पहले बनाना था टारगेट
पूछताछ के दौरान आतंकियों ने बताया कि आकाओं ने उनलोगों को निर्देश दिया था कि वे लोग भारत के छोटे और मंझले शहरों में सबसे पहले अपना नेटवर्क तैयार करें। इसके बाद बड़े शहरों को टारगेट में लेना था। क्योंकि बड़े शहरों में सुरक्षा एजेंसियां काफी सक्रिय रहती हैं। लिहाजा उन जगहों में पहले बेस बनाना खतरे से खाली नहीं है। यही वजह है कि वे लोग बिहार के गया, पटना और सीमावर्ती इलाकों में अपना नेटवर्क तैयार करने के लिए पहुंचे थे। उनके दूसरे साथी भी देश के मंझले और छोटे शहरों से ही आतंकी संगठन का विस्तार करने गए हैं।
मुंबई और पुणे में नेटवर्क
यही वजह है कि शरियत मुंबई न जाकर पुणे में ही संगठन का नेटवर्क फैला रहा था। उसके और साथी इसी प्रकार के शहरों में सक्रिय हैं। वे लोग भारत में काफी लंबी प्लानिंग के बाद यहां पहुंचे थे। यहां के युवाओं का ब्रेन वॉश कर उन्हें संगठन से जोड़कर उनसे आतंकी घटनाओं को अंजाम दिलाने की साजिश थी।
साथी बदल चुके हैं ठिकाना
गौरतलब है कि तीनों आतंकियों को रिमांड पर लेकर एटीएस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। धीरे इनसे मिले इनपुट के आधार पर देश की सुरक्षा एजेंसी और बिहार एटीएस आगे की कार्रवाई करने में जुटी है। इनके अन्य साथियों की तलाश में लगातार छापेमारी की जा रही है। तीनों आतंकियों की गिरफ्तारी की खबर के बाद इनके और साथी अपना ठिकाना बदल चुके हैं। क्योंकि जब इनकी निशानदेही पर एटीएस छापेमारी करने पहुंची तो वे लोग वहां से फरार मिले।
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