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पटना के किन्नरों की रोजी-रोटी पर बाग्लादेशी बधाइयों ने डाला डाका, नींद उड़ा रही तालियों की आवाज

पश्चिम बंगाल के किन्नरों के साथ कई बांग्लादेशी पिछले छह माह से राजधानी में सक्रिय हैं। अब इनकी संख्या 150-200 के बीच बताई जा रही है। कोतवाली पुलिस का कहना है कि पश्चिम बंगाल के किन्नरों का पटना में वर्चस्व कायम करने की शिकायत मिली है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 08:40 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 08:40 PM (IST)
पटना के किन्नरों की रोजी-रोटी पर बाग्लादेशी बधाइयों ने डाला डाका, नींद उड़ा रही तालियों की आवाज
पटना में थाने के बाहर विरोध जताते पटना के किन्नर।

जागरण संवाददाता, पटना: बधाई और छोटे-मोटे काम कर जीवनयापन करने वाली स्थानीय किन्नरों की रोजी-रोटी को अब बांग्लादेशियों की नजर लग रही है। स्थानीय के अनुसार पश्चिम बंगाल के किन्नरों के साथ कई बांग्लादेशी पिछले छह माह से राजधानी में सक्रिय हैं। पहले 15-20 की संख्या में आए थे। अब इनकी संख्या 150-200 के बीच बताई जा रही है। स्थानीय किन्नरों ने अपनी रोजी-रोटी में सेंधमारी होता देख इसकी शिकायत कोतवाली थाने में की है।

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कोतवाली थानाध्यक्ष सुनील सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल के किन्नरों के समूह द्वारा पटना में वर्चस्व कायम करने के लिए विविध गतिविधियों की शिकायत मिली है। स्थानीय किन्नरों ने आवेदन देकर बताया है कि पश्चिम बंगाल से आए किन्नर उनके कारोबार पर कब्जा के अलावा आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं। उनपर अपने समूह में शामिल नहीं होने पर मारपीट और दबाव बनाने के लिए अन्य गतिविधियों का सहारा लेने का भी आरोप है। वहीं, पश्चिम बंगाल की किन्नरों ने भी स्थानीय पर बधाई के रुपये और गहने छीनने का आरोप लगाया है। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। 

थाना परिसर में ही भीड़ गए दोनों गुट 

कोतवाली थाना में सोमवार को शिकायत के लिए स्थानीय किन्नरों का समूह पहले पहुंचा। थोड़ी देर बाद ही पश्चिम बंगाल के किन्नरों का ग्रुप भी पहुंच गया। दोनों आपस में भीड़ गए है। पुलिस पदाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। पुलिस ने दोनों को आवेदन देने को कहा। स्थानीय किन्नरों को कहना है कि पश्चिम बंगाल के साथ कई बांग्लादेशी भी हैं। वह अपनी पहचान को छिपा रहे हैं। पुलिस मामले में सहयोग नहीं कर रही है। आवेदन के कई दिन बाद भी कार्रवाई सिफर है। नाम नहीं छापने की शर्त पर स्थानीय किन्नर ने बताया कि इस मामले पर बैठक हुई है। अभी सभी को कुछ नहीं बोलने को कहा गया है। जल्द ही पूरे प्रमाण के साथ असलियत सार्वजनिक की जाएगी।  

राज्य में हैं 40 हजार किन्नर 

किन्नरों के विकास व अधिकार के लिए संघर्षरत रहने वाली रेश्मा प्रसाद का कहना है कि राज्य में 40 हजार किन्नर रहते हैं। पटना में इनकी संख्या लगभग 2500 के आसपास है। अधिसंख्या की रोजी-रोटी बधाइयों से मिली राशि से ही चलती है। ट्रेन व दुकानों से पर भी लोग जाते हैं। इधर, कुछ वर्षो से बंगाल से बड़ी संख्या में किन्नर राज्य में आए हैं। इनपर गलत व्यवहार का आरोप लगता रहा है। 


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