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Lockdown की बुरी खबर- क्वारंटाइन सेंटर में चार दिन तक कराहती रही गर्भवती, पेट में ही मरा बच्‍चा

Lockdown Bihar बिहार में क्‍वारंटाइन सेंटर में भर्ती एक गर्भवती महिला दर्द से कराहती रही। उसका बच्‍चा पेट में ही मर गया लेकिन किसी ने सुधि नहीं ली। क्‍या है मामला जानिए।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 02:20 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 03:17 PM (IST)
Lockdown की बुरी खबर- क्वारंटाइन सेंटर में चार दिन तक कराहती रही गर्भवती, पेट में ही मरा बच्‍चा
Lockdown की बुरी खबर- क्वारंटाइन सेंटर में चार दिन तक कराहती रही गर्भवती, पेट में ही मरा बच्‍चा

नालंदा, जेएनएन। लॉकडाउन में यह बुरी खबर है। बिहार के नालंदा जिले के रहुई प्रखंड अंतर्गत मोरा तालाब स्थित नालंदा विद्या मंदिर में बने क्वारंटाइन सेंटर में उत्‍तर प्रदेश से आई प्रवासी प्रिया सिंह के गर्भ में पल रहा बच्‍चा लापरवाही का शिकार होकर मर गया। महिला चार दिनों तक दर्द से छटपटाती रही, पर उसे अस्पताल भेजने की जरूरत नहीं समझी गई। गुहार पर भी कोई चिकित्सक भी देखने नहीं आया। हैरत की बात तो यह है कि घटना की बाबत पूछने पर लापरवाही की जांच कराए बगैर सिविल सर्जन ने कहा कि महिला ने कोई जानकारी ही नहीं दी थी, जिस कारण उसका इलाज नहीं हो सका।

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चार दिन से कराह रही थी गर्भवती, किसी ने नहीं ली सुध

पीडि़ता के साथ आई हैदराबाद में पढ़ाई करने वाली रहुई प्रखंड की शिल्पा कुमारी ने बताया कि चार दिन पहले दोनों ट्रेन से गया स्‍टेशन पर उतरे थे। इसके बाद उन्‍हें यहां लाया गया। गर्भवती महिला को उसी रात दर्द शुरू हुआ और रक्तस्राव होने लगा। लोगों से डॉक्टर के पास भेजने की गुहार लगाई, लेकिन अनसुनी कर दी गई। इसके बाद उसे निजी डॉक्टर के पास ले जाया गया।

विलंब से कराया अल्‍ट्रासाउंड, मरा मिला बच्‍चा

निजी डॉक्‍टर ने दवा देने के बाद तत्काल अल्ट्रासाउंड कराने की बात कही। इसके बाद महिला ने स्वजनों को मोबाइल से फोन कर बुलाया गया, फिर निजी वाहन से पति के साथ भेजकर अल्ट्रासाउंड कराया गया। रिपोर्ट में बच्‍चे की मौत हो जाने की बात सामने आई। महिला रोती-बिलखती हुई सदर अस्पताल पहुंची, जहां उसका टेस्ट कराया गया।

सिविल सर्जन बोले: महिला ने नहीं दी हालत की जानकारी

इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. राम सिंह ने आश्‍चर्यजनक बयान दिया। उन्‍होंने कहा कि यूपी की गर्भवती क्वारंटाइन सेंटर में जबसे आई थी, उसे रक्तस्राव हो रहा था, लेकिन उसने किसी को इसकी जानकारी नहीं दी। सदर अस्पताल के किसी भी पदाधिकारी को जानकारी होती तो संज्ञान लिया जाता। जानकारी मिलते ही उसे एंबुलेंस भेजकर सदर अस्पताल लाया गया। लेकिन, तब तक तक काफी देर हो चुकी थी। सवाल यह है कि दर्द से कराहती महिला का संज्ञान किसी ने क्‍यों नहीं लिया? क्‍या उसकी हालत किसी को नहीं दिखी?


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