बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच की छवि सुधारने की कोशिश शुरू, लगाए जाएंगे 500 पौधे
नए साल में पांच सौ पौधे बढ़ाएंगे पीएमसीएच की सुंदरता इमरजेंसी वार्डों से लेकर कॉटेज तक में जगह-जगह रखवाए जाएंगे पौधों के गमले साफ-सफाई की कमी के कारण ही गंभीर रोगी अन्य अस्पतालों के हाथ खड़े करने पर आते हैं यहां
पटना, जागरण संवाददाता। बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच (PMCH) में तमाम असुविधाओं के बावजूद यहां हर दिन किसी दूसरे अस्पताल से अधिक लोग ओपीडी व इमरजेंसी में इलाज कराने आते हैं। पटना के सरकारी अस्पतालों में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानी आइजीआइएमएस और एम्स पटना में बेहतर साफ-सफाई के कारण थोड़े सामर्थ्यवान लोग भी इन्हीं दोनों संस्थानों को पसंद करते हैं। संभवत: यही कारण है कि विगत एक दशक में पीएमसीएच में मल्टी सुपरस्पेशियलिटी इलाज सुविधाएं बढ़ाने की गति अपेक्षाकृत धीमी हो गई है। यहां अब केवल आर्थिक रूप से बिल्कुल कमजोर मरीज ही आ रहे हैं।
गंदगी और अव्यवस्था का दाग धोने की कोशिश
उच्च व मध्यम वर्ग के अंतिम विकल्प के रूप में पीएमसीएच आने का दंश अब वहां के प्रशासन व वरिष्ठ डॉक्टरों को भी सालने लगा है। यही कारण है कि पीएमसीएच प्रशासन ने सुधार के कार्य शुरू कर दिए हैं। जब तक 54 सौ बेड के लिए नया भवन का निर्माण पूरा नहीं होता, वे अस्थायी व्यवस्थाएं कर रहे हैं। पहले कॉटेज वार्ड को टीवी आदि से सुसज्जित कर गंगा व्यू वाले टैरेस में रोगियों के बैठने की व्यवस्था की गई है, वहीं इमरजेंसी व वार्डों में बेहतर वेंटिलेटर नहीं होने के कारण बदबू भगाने के लिए 500 पौधों के गमले रखवाए जा रहे हैं।
पांच सौ पौधों का किया जा रहा जुगाड़
पीएमसीएच में साफ-सफाई का जिम्मा एक निजी एजेंसी के हवाले हैं। जितने कर्मचारी निर्धारित हैं, उससे आधे लोगों से ही काम कराया जा रहा है। ऐसे में कम से कम छह बार की जगह दो या तीन बार ही पीएमसीएच में सफाई की जाती है। यह भी अधिकारियों के हस्तक्षेप और कर्मचारी की निष्ठा पर निर्भर है। यही कारण है कि वेंटिलेटर के अभाव यहां हर समय बदबू आती रहती है। इसी को दूर करने के लिए पीएमसीएच के अधिकारी अपने संबंधों का इस्तेमाल कर पांच सौ पौधों के गमले रखवाने के प्रयास कर रहे हैं।
परदेश तक बिगड़ती है छवि
प्रदेश की राजधानी से लेकर सुदूर जिले का कोई सरकारी अस्पताल हो या कोई निजी नर्सिंग होम, रोगी की हालत बिगड़ने पर उसे प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल काॅलेज सह अस्पताल ही रेफर करता है। यही नहीं प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के भी कई गरीब मरीज अपने गंभीर रोगों के उपचार के लिए यहीं आते हैं। ऐसे में हर समय बदबू और अन्य अव्यवस्थाएं दूसरे राज्यों तक छवि बिगाड़ती है।
हाईटेक सर्जिकल इमरजेंसी शुरू होने के साथ शुरू होगा सुधार
चार माड्युलर ऑपरेशन कक्ष युक्त हाईटेक सर्जिकल इमरजेंसी में अधिकतम चार से पांच दिन में अब इलाज शुरू हो जाएगा। बताते चलें कि चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इसका उद्घाटन किया था। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने भी इसका निरीक्षण कर जल्द शुरू करने को कहा था। हाइटेक मेडिसिन इमरजेंसी का निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है।