रिश्ते की मिठास: नीतीश कुमार के लिए गोपाला का रसगुल्ला लाना नहीं भूलते थे अरुण जेटली
The sweetness of the relationship नीतीश के लिए गोपाला का रसगुल्ला लाना नहीं भूलते थे जेटली। इतनी व्यस्तता में भी उन्होंने आत्मीयता इस तरह कि छोटी-छोटी बातों का भी रखा ख्याल।
पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। अरुण जेटली जैसे कद्दावर नेता की सहजता यह थी कि वह संबंधों को लेकर इतने आत्मीय थे कि मित्रों की छोटी-छोटी बातों का ख्याल पूरे दिल से रखते थे। नीतीश कुमार के साथ उनके मधुर रिश्ते की चर्चा राजनीतिक गलियारे में नियमित रूप से होती थी। वह नीतीश कुमार की पसंद का भी पूरा ख्याल रखते थे। उन्हें यह मालूम था कि नीतीश को दिल्ली के गोपाला का रसगुल्ला काफी पसंद है। इस बात का ख्याल कर जब वह दिल्ली से पटना खासकर नीतीश कुमार से मिलने को सोच कर आते थे तो साथ में गोपाला का रसगुल्ला लाना नहीं भूलते थे।
नीतीश से गहरी थी आत्मीयता
अरुण जेटली के निकटतम लोगों में एक बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा बताते हैैं कि नीतीश कुमार और अरुण जेटली की घनिष्टता यह थी कि ऐसा शायद ही कोई मौका रहा हो जब नीतीश कुमार दिल्ली गए और वह अरुण जेटली के घर नहीं गए हो। एक बार जेटली जी के यहां भोजन जरूर होता था। हाल यह रहा कि अरुण जेटली के घर में काम करने वाले रसोइए तक को यह मालूम था कि नीतीश कुमार को खाने में क्या पसंद है। रिश्ते इस तरह प्रगाढ़ थे कि जदयू जब भाजपा से अलग हो गई थी, तब भी नीतीश नियमित रूप से अरुण जेटली के आवास पर उनसे मिलते रहे।
बात 2005 के फरवरी माह की
संजय झा बताते हैैं कि बात 2005 के फरवरी में बिहार विधानसभा चुनाव की है। उन दिनों मैैं जेटली जी के लिए बिहार का काम देखता था। मेरी भूमिका भाजपा और नीतीश कुमार के बीच संवाद के लिए लिंक की थी। जेटली जी उन दिनों बिहार के प्रभारी थे। डेढ़ महीने तक बिहार के एक होटल में वह रह गए थे। प्रथम चरण का चुनाव हो चुका था। उस समय तक नीतीश कुमार का नाम बिहार के मुख्यमंत्री के लिए घोषित नहीं था। दूसरे चरण का चुनाव होने वाला था। तभी अरुण जेटली ने प्रमोद महाजन के साथ मिलकर नीतीश कुमार का नाम एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में घोषित कर दिया था। तब दूर-दूर तक यह बात नहीं थी कि बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी। केंद्र में यूपीए की सरकार थी और बिहार में भी राजद सक्रिय था।
नीतीश के लिए जॉर्ज साहब को मनाया
भाजपा द्वारा नीतीश कुमार के नाम के ऐलान को लेकर जदयू में थोड़ी चर्चा भी हो गई। जाॅर्ज फर्नांडिस ने यह कह दिया था कि जदयू ने नहीं, भाजपा ने नीतीश के नाम का ऐलान किया है। इस पर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। तब जाॅर्ज साहब पाटलिपुत्र कॉलोनी में ठहरे हुए थे। अरुण जेटली खुद पाटलिपुत्र कॉलोनी गए जाॅर्ज साहब से मिलने। संजय कहते हैैं कि मैैं इस बात का गवाह हूं कि किस तरह से जेटली ने जाॅर्ज साहब को सहमत किया। इसके बाद जार्ज फर्नांडीस ने प्रेस कांफ्रेंस कर नीतीश कुमार के नाम का ऐलान किया।
नीतीश-जेटली की मित्रता दूर तक थी
नीतीश कुमार और अरुण जेटली की मित्रता दूर तक थी। बिहार में जब राष्ट्रपति शासन लागू हुआ तो राष्ट्रपति के समक्ष एनडीए की परेड हुई। एनडीए सुप्रीम कोर्ट चला गया। तब इस मामले को अरुण जेटली ने ही देखा। बता दें कि शनिवार को खबर सुनते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सारे कार्यक्रम रद्द कर दिल्ली के लिए निकल पड़े। उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे।