बिहार मे एक और महाघोटाले का पर्दाफाश- बुडको में 13 अरब की हेराफेरी
बिहार में एक और महाघोटाले का पर्दाफाश हुआ है। सीएजी की रिपोर्ट में बुडको में 13 अरब की वित्तीय गड़बड़ी पाई गई है। इस रिपोर्ट पर बुडको ने कोई जवाब नहीं दिया है।
पटना, जेएनएन। बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम (बुडको) में 13 अरब से अधिक के वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। सीएजी ने अब तक के पांच निरीक्षण रिपोर्ट्स में बुडको के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए अपनी रिपोर्ट सरकार और लोक लेखा समिति को सैौंपी है। इसमें 13 अरब से अधिक के वित्तीय अनियमितता की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।
सीएजी की ऑडिट के अनुसार बुडको की 2009 में स्थापना से लेकर जून 2017 के बीच भारी वित्तीय अनियमितता हुई है। मामले की खास बात यह है कि सीएजी की अॉडिट रिपोर्ट द्वारा कई बार इन गड़बड़ियों पर आपत्तियां उठाई गईं, लेकिन बुडको ने जवाब तक देना उचित नहीं समझा।
बता दें कि बुडको की स्थापना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 16 जून 2009 को की गई थी। 1956 की कम्पनी एक्ट के तहत बुडको के गठन का उद्येश्य शहरी विकास को गति देना था। लेकिन शहरी लोगों को तेजी से विकास करने के सपने दिखाकर सरकार के पैसे का पिछले आठ सालों से बंदरबाट किया जाता रहा है।
महालेखाकार कार्यालय, पटना की ऑडिट रिपोर्ट में बुडको में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया गया है। सीएजी ने अब तक के पांच निरीक्षण रिपोर्ट्स में बुडको के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए अपनी रिपोर्ट सरकार और लोक लेखा समिति को सौंपी है, जिनमें 13 अरब से अधिक की वित्तीय गड़बड़ियां पाईं गईं हैं।
सीएजी ने इस मामले में सबसे पहले साल 2011-12 में बुडको का ऑडिट किया था और फिर वर्ष 2013-14 और 2015-16, 2016-17 और 2017-18 का ऑडिट किया। इन सभी ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने बुडको के भ्रष्टाचार को पकड़ा और अपनी रिपोर्ट सरकार और लोक लेखा समिति को सौंपी।
सीएजी ने पहले तीन ऑडिट में ही 10 अरब 50 करोड़ से अधिक की वित्तीय अनियमितता पकड़ी थी। सरकार को इसकी जानकारी देने के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और इस बीच आरटीआइ कार्यकर्ता ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल को 19 सितम्बर 2016 को कारवाई के लिए लिखित शिकायत भी की, लेकिन कोई जांच नहीं कराई गई।
इतना ही नहीं सीएजी की आपत्तियों का बुडको ने भी कोई जवाब नहीं दिया। सीएजी ने 2016-17 और 2017-18 के दो ऑडिट रिपोर्ट में और दो अरब 52 करोड़ से अधिक के वित्तीय गड़बड़ियों को पकड़ा और इस बीच सीएजी ने इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि पिछली गड़बड़ियों पर बुडको ने कोई जवाब नहीं दिया है, लेकिन इस बार भी कुछ नहीं हुआ।
बता दें कि बुडको ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा किया है, लेकिन इस दौरान वह भ्रष्टाचार की सारी सीमाओं को भी पार कर गया। सीएजी ने शुरुआती ऑडिट में ही 125 करोड़ 53 लाख की लागत से पटना में बनाए गए बुद्धा स्मृति पार्क में कई वित्तीय अनियमितताओं को पकड़ा था और इसमें कुल 67 करोड़ 20 लाख से अधिक की वित्तीय गड़बड़ियां सामने आईं थी।
रिपोर्ट के अनुसार पार्क के निर्माण में संवेदक पारसनाथ डेवलपर्स लिमिटेड द्वारा भारी अनियमतता की गई। इसमें बुडको के अधिकारियों की भूमिका अहम रही। बुद्धा स्मृति पार्क बनाने में बीओक्यू यानि स्टीमेट 58 से 78 प्रतिशत तक अधिक बनाकर सरकारी राशि की बंदरबांट की गई थी। इसमें पारसनाथ डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को नियम विरूद्ध 23 करोड़ 70 लाख रुपये एडवांस दिए गए और इसमें पीडब्ल्यूडी कोड के उलट आठ करोड़ 99 लाख रुपये संवेदक को अनियमित भुगतान किया गया था।
बीओक्यू से अलग विचलन कर 18 करोड़ 17 लाख का लाभ पहुंचाया गया। इसके साथ ही तीन करोड़ 79 लाख का नुकसान बुडको को संवदेक द्वारा पहुंचाया गया। इतना ही नहीं विलंब से पार्क को बनाने पर 12 करोड़ 55 लाख के जुर्माने की राशि भी बुडको ने संवेदक से नहीं वसूला।
जून 2009 से जून 2017 तक सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में बुडको में गड़बड़ी पकड़ी गई। एक तथ्य ये है कि 13 अरब से अधिक की इन वित्तीय गड़बड़ियों को अबतक विभाग ने खारिज भी नहीं किया है। आरटीआइ कार्यकर्ता अमित कुमार मंडल और अशोक कुमार मिश्र ने मुख्य सचिव से लेकर राज्यपाल तक को इस पर संज्ञान लेने की गुहार लगाई है, लेकिन अब तक जांच नहीं की गई है।