इन्होंने पीएम मोदी को दी थी नोटबंदी की सलाह, कहा- इसे विकास से जोडऩा सही नहीं
नोटबंदी के चाणक्य माने जाने वाले अनिल बोकिल ने कहा कि इसे विकास से जोड़ना सही नहीं है। अर्थव्यवस्था की सतत प्रक्रिया है। समय समय पर मॉनीटरिंग करने की आवश्यकता है।
पटना [जेएनएन]। अर्थशास्त्री और नोटबंदी के चाणक्य माने जाने वाले अनिल बोकिल ने पटना में एक शैक्षणिक संस्थान द्वारा आयोजित सेमिनार में कहा कि कालाधन, भ्रष्टाचार, आरक्षण, टैक्स-चोरी, आतंकवाद एवं समानांतर अर्थव्यवस्था के लिए नोटबंदी का निर्णय जरूरी था। नोटबंदी को कई अर्थशास्त्री विकास से जोड़ लेते हैं। यह निर्णय विकास से सबंध नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था की सतत प्रक्रिया है। समय समय पर मॉनीटरिंग करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार में कमी आई है और इसे अपना पूरा असर दिखाने में कुछ समय लगेगा। कोई भी ऑपरेशन कष्टदायी होता है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम अच्छे होते हैं। नोटबंदी से लोगों को परेशानी जरूर हुई लेकिन भविष्य के लिए बेहद कारगर निर्णय था।
उन्होंने कहा कि सरकार को इम्पोर्ट ड्यूटी को छोड़कर सभी तरह के टैक्स समाप्त कर देने चाहिए। सिर्फ बैंक में ट्रांजैक्शन टैक्स लगाने की जरूरत है क्योंकि करेंसी के प्रवाह में पारदर्शिता नहीं आएगी तब तक कालाधन एवं भ्रष्टाचार पर लगाम मुश्किल होगा।
करेंसी के प्रवाह होने से देश के अंतिम व्यक्ति तक विकास नहीं पहुंच पाएगा। भारत भी पूंजी प्रधान देश की श्रेणी में आ जायेगा। देश को कैशलेश वाली अर्थव्यवस्था पर लाना जरूरी है जिसकी शुरुआत नोटबंदी के साथ शुरू हो गई।
बता दें कि अनिल बोकिल, औरंगाबाद के एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे पेशे से यांत्रिक इंजीनियर हैं और अर्थक्रांति संस्थान से जुड़े हुए हैं। अनिल बोकिल पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी को 500 और 1000 के नोट को बंद करने की सलाह दी थी।
उन्होंने 1999 में ही नोटबंदी की रुपरेखा तैयार कर ली थी, जिसका प्रेजेंटेशन उन्होंने कई सरकारों के सामने दिया। गुजरात के सीएम के पद पर मौजूद नरेन्द्र मोदी ने उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुना। 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी को लागू कर दिखाया।