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बिहार बोर्ड पर लगे कलंक के दाग को धो दिया और नकल पर कस दी नकेल, जानिए कौन है वो

बिहार बोर्ड की परीक्षा में कदाचार का कलंक धोने के लिए बिहार के आइएएस अधिकारी और बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बहुत प्रयास किया है और अब उसका ही नतीजा है कि नकल पर नकेल कसी गई है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 03:29 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 06:34 PM (IST)
बिहार बोर्ड पर लगे कलंक के दाग को धो दिया और नकल पर कस दी नकेल, जानिए कौन है वो
बिहार बोर्ड पर लगे कलंक के दाग को धो दिया और नकल पर कस दी नकेल, जानिए कौन है वो

पटना [नीरज कुमार]। मैटिक और इंटर की परीक्षा में कदाचार को लेकर पूरी दुनिया में बदनाम हुए बिहार बोर्ड की छवि पिछले दो वर्षो में काफी सुधरी है। इसका श्रेय बोर्ड के अध्यक्ष आइएएस आनंद किशोर को जाता है। वे नकल के लिए राज्य सरकार की जगहंसाई कराने वाले बोर्ड को तकनीक के सहारे रास्ते पर ले आए हैं।

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उन्होंने परीक्षा में सीसी कैमरे का उपयोग और वीडियोग्राफी करा नकलचियों पर नकेल कसी। बोर्ड के रजिस्ट्रेशन से लेकर स्क्रूटनी तक की प्रकिया को ऑनलाइन कर दिया। इसका असर भी दिख रहा है।

आनंद किशोर को जून 2016 में बिहार बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था। उनके लिए सुधार बड़ी चुनौती थी। खासकर, कदाचारमुक्त परीक्षा का आयोजन। इसके लिए उन्होंने पदभार संभालते ही अभियान शुरू किया। पहले बोर्ड को कंप्यूटराइज्ड करने का निर्णय लिया।

इसके अलावा बोर्ड ने प्री एग्जाम एवं पोस्ट एग्जाम सॉफ्टेवयर के माध्यम से काम शुरू किया। पंजीयन से लेकर फॉर्म भरने तक की प्रक्रिया ऑनलाइन कराई। इससे परीक्षा में बाहरी हस्तक्षेप बंद हो गए। अब एक छात्र दो जगहों से न तो पंजीयन करा सकते हैं और न ही फॉर्म भर सकते हैं।

हर कागजात को किया ऑनलाइन

उनकी पहल पर 2004 के बाद के सभी कागजात ऑनलाइन कर दिए हैं। पहले बोर्ड से प्रवेश पत्र, अंक पत्र, मूल प्रमाण पत्र सहित अन्य कागजात प्राप्त करने के लिए परीक्षार्थियों को एक सप्ताह से लेकर एक माह बोर्ड का चक्कर लगाना पड़ता था। राज्य के कोने-कोने से परीक्षार्थी आते थे और लौटकर चले जाते थे। कर्मचारियों एवं दलालों पर भी विराम लग गया है।

हर प्रमंडल में बोर्ड कार्यालय

बोर्ड अध्यक्ष ने सभी नौ प्रमंडलों में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का कार्यालय खोल दिया है। इससे अब छात्रों को राजधानी आने की जरूरत नहीं रह गई है। परीक्षार्थी प्रमंडल में ही कागजात प्राप्त कर रहे हैं। इन्हीं कार्यालयों में कॉपियों के मूल्यांकन की व्यवस्था की जा रही है।

बोर्ड अध्यक्ष ने मैटिक एवं इंटर के सभी विषयों में 50 फीसद सवालों को वस्तुनिष्ठ कर दिया है। इससे सफलता दर में वृद्धि हुई है। कॉपियों की जांच के लिए बार कोडिंग शुरू कर दी है। अब के मूल्यांकन करने वाले शिक्षक को भी नहीं पता होता कि जिस कॉपी की जांच कर रहे हैं, वह किसकी है।


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