गंगा के किनारे बसे शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर, पटना में हजारों लोगों की मौत
गंगा के किनारे बसे शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर है। सिर्फ पटना शहर में ही हर साल दूषित हवा 2841 लोगों की मौत की वजह बन रही है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण मौत का पांचवा सबसे बड़ा कारण बन रहा है। उत्तर भारत में गंगा के किनारे स्थित शहरों मेंं वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर हो गया है। पटना में प्रदूषित हवा के चलते हर साल 2841 लोगों की मौत हो जाती है। गया और मुजफ्फरपुर में भी स्थिति बेहद गंभीर है।
सेंटर फॉर इंवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलेपमेंट (सीड ) के सहयोग से आइआइटी दिल्ली ने बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के ग्यारह शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर का अध्ययन किया। सीड के प्रोग्राम डायरेक्टर अभिषेक प्रताप ने सोमवार को 'नो ह्वाट यू ब्रीथ' नाम से रिपोर्ट जारी की। उन्होंने कहा कि पिछले सत्रह सालों के दौरान वायु प्रदूषण 23 फीसद बढ़ गया है। इसके लिए पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) मुख्य कारण हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार के पटना, गया एवं मुजफ्फरपुर उत्तर प्रदेश के आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर एवं मेरठ झारखंड के रांची में वायु की शुद्धता की जांच की गई। इन शहरों में पीएम 2.5 का स्तर 75- 120 फीसद है, जो मानक से काफी अधिक है।
इसका मुख्य कारण घरेलू ईंधन, गाडिय़ों की संख्या में वृद्धि, ईंट-भट्ठा और उद्योगीकरण हैं। अब वायु प्रदूषण को नरजअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पर रहा है। प्रदूषित हवा के चलते प्रत्येक साल बड़ी संख्या में लोगों की असमय मौत हो रही है और उससे कई गुणा अधिक सांस, हृदय रोग एवं मानसिक रोग के मरीज बन रहे हैं। मौके पर अंकिता ज्योति, फैयाज इकबाल आदि उपस्थित थे।
शहर मौत की संख्या
कानपुर - 4173
लखनऊ - 4127
पटना - 2841
आगरा - 2421
मेरठ - 2044
वाराणसी - 1581
इलाहबाद - 1443
रांची - 1096
गोरखपुर - 914
गया - 710
मुजफ्फरपुर - 531