सीमांचल में ओवैसी का परचम: AIMIM ने दिखाया दम, महागठबंधन को बड़ी चोट, राजद से ले लिया बदला
बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने लगभग छह सीटों पर बढ़त बनाई है, जिससे महागठबंधन को नुकसान हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AIMIM का मजबूत प्रदर्शन महागठबंधन के लिए वोट-कटवा साबित हुआ है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान अमौर सीट से आगे चल रहे हैं। सीमांचल में AIMIM की ताकत को महागठबंधन समझ नहीं पाया।
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डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के रुझानों ने एक बार फिर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की शक्ति को रेखांकित कर दिया है। असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करते हुए लगातार दूसरे चुनाव में अपना परचम फहराया है। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार ओवैसी की पार्टी लगभग पांच सीटों पर जीत की ओर है। यह प्रदर्शन महागठबंधन के लिए एक बड़ा सबक है, जिसे ओवैसी की पार्टी से समझौता न करने की भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AIMIM का मजबूत प्रदर्शन महागठबंधन, खासकर राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के लिए वोट-कटवा साबित हुआ है। 2020 में भी यही हुआ था। बावजूद महागठबंधन ने ओवैसी को कोई तवज्जो नहीं नहीं दी। यह रणनीति महागठबंधन को बहुत भारी पड़ गया।
प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान सीमांचल के हीरो बने
AIMIM मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र (किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार) में चुनाव लड़ रही थी और उसके उम्मीदवार यहां मज़बूती से आगे चल रहे हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान अमौर सीट से 38928 वोटों के बड़े अंतर से जीत चुके हैं।
कोचाधामन सीट पर मो. सरवर आलम 23021 वोटों से जीते, जबकि बहादुरगंज सीट पर मो. तौसीफ आलम 18741 वोटों से बढ़त बनाए हुए हैं। जोकीहाट सीट से मोहम्मद मुर्शीद आलम 28803 वोटों के बड़े अंतर से जीत रहे। वहीं बायसी से गुलाम सरवर 14862 वोटों से निर्णायक बढ़त पर हैं।
सीमांचल में AIMIM की ताकत समझ नहीं सका महागठबंधन
राजनीतिक विश्लेषक पुष्यमित्र कहते हैं- ओवैसी ने सीमांचल की कई सीटों पर मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, जिससे सीधा मुकाबला हुआ। AIMIM ने मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा अपनी ओर खींच लिया, जिससे कई सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार एनडीए (NDA) के प्रत्याशियों के मुकाबले पिछड़ गए। AIMIM ने सीमांचल में अपनी गहरी पैठ बना ली है, यह समझने में महागठबंधन के रणनीतिकार चूके।
कई सीटों पर AIMIM, RJD और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिला। इसका सीधा फायदा एनडीए को मिला। राजनीतिक टिप्पणीकार ओमप्रकाश अश्क कहते है- राजद ने उनके सभी विधायकों को तोड़ कर अपने साथ मिला लिया था, इससे पार्टी की साख खराब हुई थी। ओवैसी की पार्टी ने पांच साल जमीन पर मेहनत किया। इस चुनाव में आखिरकार अपना बदला चुका लिया। प्रदर्शन तेजस्वी की उस रणनीति पर सवाल खड़े करता है, जिसके तहत महागठबंधन ने AIMIM को किनारे कर दिया। जनसुराज की गतिविधियों का लाभ भी सीमांचचल में ओवैसी के उम्मीदवारों को ही मिल गया।
2020 के प्रदर्शन से बेहतर, कांग्रेस से भी आगे निकले
यह ध्यान देने योग्य है कि ओवैसी ने 2020 के विधानसभा चुनावों में भी पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। उस चुनाव के बाद भी यह कहा गया था कि AIMIM के उदय ने RJD और कांग्रेस के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाई है।
इस बार पार्टी ने अपने गढ़ में इस सफलता को न केवल दोहराया है, बल्कि अपनी ताकत को और भी मजबूत किया है। सीमांचल की राजनीति में ओवैसी एक अपरिहार्य शक्ति बन चुके हैं। राष्ट्रीय पार्टी हो कर कांग्रेस जहां 61 सीटों पर लड़कर भी पांच सीट पर संघर्ष कर रही है, वहीं AIMIM पांच सीटों पर आसान जीत की ओर है।

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