चंद हफ्तों में कोरोना वैक्सीन आने की संभावना देख AIIMS में शुरू होगा नन कोविड मरीजों का इलाज
चंद हफ्तों में कोरोना वैक्सीन आने की संभावना को देखते हुए एम्स पटना ने कोरोना संक्रमितों के अलावा अन्य रोगों के उपचार की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत कोरोना संक्रमितों के लिए आइसीयू बेड की संख्या घटाकर 40 कर दी गई है।
जागरण संवाददाता, पटना: चंद हफ्तों में कोरोना वैक्सीन आने की संभावना को देखते हुए एम्स पटना ने कोरोना संक्रमितों के अलावा अन्य रोगों के उपचार की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत कोरोना संक्रमितों के लिए आइसीयू बेड की संख्या घटाकर 40 कर दी गई है। दस दिनों में धीरे-धीरे कोरोना रोगियों की संख्या कम की जाएगी और अन्य रोगों से पीडि़त लोगों का उपचार शुरू किया जाएगा।
एम्स पटना के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि कोविड अस्पताल घोषित होने के बाद से अन्य बीमारियों के गंभीर रोगियों का इलाज पूरी तरह बाधित हो गया है। वर्तमान में कोरोना संक्रमितों की संख्या के अनुपात में पीएमसीएच-एनएमसीएच जैसे अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाएं हैं। इसे देखते हुए अब एम्स में कोरोना के अतिगंभीर रोगियों को ही भर्ती किया जाएगा। इससे जो आइसीयू, वेंटिलेटर व सामान्य बेड खाली होंगे उन पर अन्य रोगों के गंभीर रोगियों का उपचार किया जाएगा।
मेडिकल छात्रों, इंटर्न व फैकल्टी की नाराजगी भी कारण
कोविड अस्पताल घोषित होने के बाद एम्स पटना से एमबीबीएस कर रहे छात्रों की पढ़ाई बाधित हो गई थी। वहीं, इंटर्नशिप कर रहे जूनियर डॉक्टरों को विभिन्न रोगों के इलाज के अनुभव के बजाय सिर्फ कोरोना संक्रमितों के उपचार में लगाया गया था। शिक्षकों को भी कोरोना उपचार प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ऐसे में गत 7 दिसंबर से प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई शुरू होने के बाद से एम्स प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया था।
कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका रही एम्स पटना की
प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की लगातार कम होती संख्या और को-वैक्सीन जल्द उपलब्ध होने की सूचना के बाद से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं सामान्य ढर्रे पर लौट रही है। सात दिन पहले सेना द्वारा संचालित बिहटा स्थित ईएसआइ मेडिकल कॉलेज में स्थापित पांच सौ बेड के कोविड अस्पताल को बंद किया गया। इसके बाद एम्स प्रबंधन ने भी सीमित रोगियों को भर्ती करना शुरू कर दिया है। बताते चलें कि 70 आइसीयू, 116 से अधिक वेंटिलेटर और हाई फ्लो नेजल कैनुला ऑक्सीजन के अलावा रक्त के थक्के दूर करने वाली इकमो मशीन से उपचार कर एम्स के डॉक्टरों ने हजारों गंभीर संक्रमितों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई है।