फर्जी लाइसेंस पर दवा दुकान चला रहा था एम्स का आउटसोर्सिग स्टाफ
कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा रेमेडिसिवर की कालबाजारी की सूचना पर जांच में मिली हैरान करने वाली जानकारी
पटना। कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा रेमेडिसिवर की कालबाजारी की सूचना पर जांच के लिए पहुंची ड्रग विभाग की टीम को बड़ी कामयाबी हाथ लगी। टीम ने एम्स के नजदीक जन औषधि केंद्र के फर्जी लाइसेंस पर चल रही दवा दुकान का भंडाफोड़ किया। दिलचस्प यह है कि इस दुकान को एम्स में आउटसोर्सिग एजेंसी के अधीन काम करने वाला एक स्टाफ ही चला रहा था।
छापेमारी दल में विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर मो. कयूम अंसारी, संजय पासवान और राजेश कुमार सिन्हा शामिल थे। ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि छापेमारी के दौरान दुकानदार ने फर्जी एनजीओ द्वारा निर्गत प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का लाइसेंस दिखाया। पूछताछ में मालूम हुआ कि दुकानदार पुरुषोत्तम कुमार एम्स का आउटसोìसग स्टाफ है।
एनजीओ के चक्कर में फंसा पुरुषोत्तम
पुरुषोत्तम के मुताबिक एक एनजीओ ने प्रशिक्षण का झासा देकर उससे 30 हजार रुपये ठग लिये। इसी एनजीओ ने 20 हजार रुपये लेकर उसे फर्जी लाइसेंस थमाया था। स्थानीय पुलिस की मदद से दवा दुकानदार को गिरफ्तार करने के बाद ड्रग विभाग की दूसरी टीम ने ठगी करने वाले एनजीओ के रामकृष्णानगर स्थित कार्यालय पर भी छापेमारी की। छापेमारी की भनक लगते ही एनजीओ संचालक अभिमन्यू कुमार व मोती लाल वहा से फरार हो गए।
एनजीओ का कार्यालय भी हुआ सील
छापेमारी दल ने दवा दुकान से प्रेडिनीसोलोन टेबलेट व ग्लेनकॉफ सिरप जब्त कर प्रयोगशाला में जाच के लिए भेजा है। साथ ही दवा दुकान और एनजीओ कार्यालय को सील कर दिया गया है। ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि एनजीओ संचालक और दुकानदार पर मामला दर्ज किया गया है। गौरतलब हो कि एम्स के नजदीक एक सप्ताह के अंदर ड्रग्स विभाग की यह दूसरी छापेमारी है। अबतक बिना लाइसेंस के दुकान चला रहे दो दुकानदारों को गिरफ्तार किया जा चुका है।