Move to Jagran APP

World AIDS Day: तय मौत के बीच भरपूर जिंदगी चाहते ये लोग, इन्‍हें चाहिए बस आपका सहयोग

World AIDS Day एचआइवी संक्रमण के बाद एड्स तथा मौत तय है। हां इस दवाओं से जिंदगी लंबी की जा सकती है। लेकिन समाज का कठोर रवैया मरीजों को तोड़कर रख देता है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 12:55 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 05:12 PM (IST)
World AIDS Day: तय मौत के बीच भरपूर जिंदगी चाहते ये लोग, इन्‍हें चाहिए बस आपका सहयोग
World AIDS Day: तय मौत के बीच भरपूर जिंदगी चाहते ये लोग, इन्‍हें चाहिए बस आपका सहयोग

पटना [अमित आलोक]। World AIDS Day: ''मौत तो तय है, बस तारीख तय नहीं। लेकिन इसके पहले समाज के ताने जिंदा मार रहे। इलाज कराते-कराते परिवार भी परेशान हैं। बेटी की शादी के लिए जमा पूंजी तो गई ही, कर्ज भी चढ़ गया। मैं तो अंतिम पल तक पूरी जिंदगी जीना चाहता हूं, लेकिन कभी-कभी ख्‍याल आता है कि सुसाइड कर लूं।''

loksabha election banner

एड्स पीडि़त एक अधेड़ की इस मनोदशा में उसके जीने की जिजिविषा के बीच बीमारी के साथ जुड़ी समाजिक-आर्थिक परेशानियों के अक्‍स साफ देखे जा सकते हैं। बीमारी की मौत तो बाद में आती है, जिंदगी के दौरान मरीज कई-कई मौतें मरता है। एड्स को लेकर जागरूकता कार्यक्रमों के बीच हकीकत यह भी है कि बिहार में इसके आंकड़े भयावह होते दिख रहे हैं। सही है कि एड्स से मौत तय है, लेकिन समय पर सही इलाज हो तो मरीज लंबे समय तक जिंदा रह सकता है। सामाजिक सहयोग मिले तो यह जिंदगी संतोष भरी मौत तक खु‍शियों से भरी हो सकती है।

दुर्घटना ने लगाई खुशियों पर ब्रेक

पटना के कंकड़बाग इलाके में रहने वाले संजय कुमार (काल्‍पनिक नाम) मुंबई में एक निजी नौकरी करते थे। वहीं लव मैरज की। खुशियों से भरे उनके जीवन पर ब्रेक एक चार साल पहले हुई सड़क दुर्घटना ने लगाई। वे मानते हैं कि उसी दौरान संक्रमित रक्‍त के कारण उन्‍हें एचआइवी इंफेक्‍शन हो गया। जब तक इसका पता चला, पत्‍नी को भी संक्रमण लग चुका था। दो साल की उनकी मासूम बच्‍ची भी एचआइवी पॉजिटिव है। संजय बताते हैं कि वे और उनकी पत्‍नी तो इस बाबत जानते हैं, लेकिन बड़ी होने तक बेटी जिंदा रही तो उसे क्‍या जवाब देंगे, इसकी चिंता खाती रहती है।

संजय का परिवार पटना अब पटना में रहता है। तीनों नियमित दवाएं लेते हैं। समाज क्‍या, परिवार के अन्‍य सदस्‍यों को भी बीमारी की बाबत बताने की हिम्‍मत नहीं। कहते हैं कि बताया ताे न जाने क्‍या हो।

मौत के पहले कई-कई मौत मरते मरीज

संजय का भय निर्मूल नहीं। समाज में एड्स को लेकर फैली भ्रांतियां व पीडि़तों के प्रति तिरस्‍कार भाव उन्‍हें मौत के पहले कई-कई मौतें मारता है। मोतिहारी के बंजरिया के शमशाद (काल्‍पनिक नाम) को एचआइवी संक्रमण खाड़ी देश में नौकरी के दौरान कब लगा, उन्‍हें पता नहीं। बीमार रहने पर वापस घर आने के बाद जांच में इसका पता चला। लेकिन तबतक देर हो चुकी थी। शमशाद एचआइवी संक्रमण के बाद की स्थिति 'एड्स' के शिकार हो चुके हैं। कहते हैं, ''इलाज में परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। समाज के लोगों ने पूरे परिवार से दूरी बना ली है। जीने की इच्‍छा तो है, लेकिन ऐसी जिंदगी से तो मौत भली।''

आखिर क्‍या है एड्स, जानिए

सवाल उठता है कि एड्स आखिर है क्‍या? पटना के चिकित्‍सक डॉ. दिवाकर तेजस्‍वी बताते हैं कि एड्स (Acquired Immune Deficiency Syndrome) एचआइवी (Humane Immune Deficiency Virus) के संक्रमण के बाद की वह स्थिति है, जिसमें मनुष्‍य अपने प्राकृतिक रोग प्रतिरक्षण की क्षमता को खो देता है। एड्स खुद में कोई बीमारी नहीं, इसमें पीड़ित मनुष्‍य अपनी रोग प्रतिरोधी क्षमता खो देने के कारण विभिन्‍न संक्रामक बीमारियों शिकार हो जाता है। ऐसे लोगों में सर्दी-जुकाम तक के संक्रमण का इलाज कठिन हो जाता हैं। एचआइवी संक्रमण के कई साल बाद एड्स की स्थिति आती है। इस बीच संक्रमित व्‍यक्‍त बिना किसी विशेष लक्षण के रह सकता है।

इलाज से लंबी होती जिंदगी पर बचाव ही उपाय

तो अाखिर क्‍या है निदान? डॉ. दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि बचाव एकमात्र उपाय है, लेकिन अगर एचआइवी संक्रमण हो जाए तो व्‍यक्ति रक्‍तचाप व मधुमेह की तरह दवाओं का नियमित सेवन कर एड्स को नियंत्रित कर सकता है। वह दवाओं के बल पर लंबा जीवन जी सकता है।

सबसे बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध

पटना के डॉ. दिवाकर तेजस्‍वी बतो हैं कि एचआइवी संक्रमण असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने, संक्रमित व्‍यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए इंजेक्शन का दूसरे व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल, संक्रमित रक्‍त, से हो सकता है। यह संक्रमण एचआइवी पॉजिटिव गर्भवती महिला से जन्म लेने वाले बच्चे में भी हो सकता है। संक्रमित मां के स्‍तनपान कराने से भी बच्चे को संक्रमण हो सकता है। आंकड़ों की बात करें तो सर्वाधिक 94 फीसद संक्रमण का कारण असुरक्षित यौन संबंध है।

ये लक्षण दिखें तो जरूर कराएं जांच

गोपालगंज के डॉ. संदीप कुमार बतो हैं कि शुरुआती दिनों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते। कुछ साल बाद ही लक्षण दिखते हैं। अगर लगातार बुखार व थकावट महसूस हो, वजन कम हो, सूखी खांसी हो, दर्द रहे तथा चमड़ी, मुंह, आंखों के नीचे या नाक पर धब्बे पड़ें तो एचआइवी की जांच करा लेनी चाहिए। वे कहते हैं कि एड्स से मौत तय है, लेकिन एचआइवी संक्रमण के बाद इसे लंबे समय तक रोका जा सकता है। वैज्ञानिक इसकी रोकथाम के लिए वैक्सीन की खोज कर रहे हें। फिलहाल बचाव ही सुरक्षा है।

1.15 लाख में 51 हजार का सरकार करा रही इलाज

आंकड़ों की बात करें तो बिहार में 1.15 लाख एचआइवी संक्रमित मरीज हैं। उनमें से 85 हजार की पहचान की जा चुकी है।  इनमें 51 हजार का इलाज राज्‍य सरकार करा रही है। राज्य सरकार उनकी दवाओं व जांच के खर्च वहन कर रही है। साथ ही करीब 22 हजार मरीजों को पोषक आहार के लिए 1500 रुपये महीना दिए जा रहे हैं।

चिंता का विषय 30 हजार अज्ञात मरीज

लेकिन चिंता का विषय वैसे 30 हजार मरीज हैं, जो नहीं जानते कि वे एचआइवी संक्रमण के शिकार हैं। वे अनजाने में अन्‍य लोगों में संक्रमण फैला सकते हैं। बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक डॉ. बीएन गुप्ता ने बताया कि इन 30 हजार लोगों की खोज जारी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.