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जाको राखे साइयां- कार लूटने के बाद व्यवसायी के हाथ-पैर बांध उफनती नदी में फेंका, 13 घंटे बाद ऐसे बची जान

अपराधियों का खौफ कितना बढ़ गया है यह बिहार के सोनपुर में देखने को मिला। अपराधियों ने एक व्‍यवसायी को गंडक में फेंक दिया। इसके पहले उसके हाथ-पैर बांध दिए गए थे।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 09:10 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 09:24 AM (IST)
जाको राखे साइयां- कार लूटने के बाद व्यवसायी के हाथ-पैर बांध उफनती नदी में फेंका, 13 घंटे बाद ऐसे बची जान
जाको राखे साइयां- कार लूटने के बाद व्यवसायी के हाथ-पैर बांध उफनती नदी में फेंका, 13 घंटे बाद ऐसे बची जान

सारण, जेएनएन। बेतिया से लौटने के दौरान फल व्यवसायी की कार लूटने के बाद बदमाशों ने उसके हाथ-पैर बांध दिए और उसे पुल से गंडक नदी में फेंक दिया। नदी में फेंकने के पहले उसकी आंखों पर पट्टी भी बांध दी गई थी। रात भर गंडक की तेज धारा में डूबते-उतराते और बहते वह बचने की कोशिश करता रहा। गुरुवार को सोनपुर के बैजलपुर में नदी तट पर खड़े कुछ युवाओं की नजर उस पर पड़ी। उसे बचाने के लिए तुरंत नाव का इंतजाम किया गया और उसे नया गंडक पुल के समीप निकाल लिया गया। 

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लगभग 13 घंटे तक हाथ-पैर बंधे होने के बाद उफनाती नदी से जिंदा बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं। युवाओं ने उसे सोनपुर के रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया। होश में आते ही मुजफ्फरपुर जिले के पारू थाना क्षेत्र के कुबौली निवासी भोला पासवान के पुत्र व फल व्यवसायी रमेश पासवान ने अस्पताल में पूरी घटना की जानकारी दी। 

रमेश पासवान ने बताया कि बिहारशरीफ का मो. मुस्तकीम उसका पार्टनर है। बुधवार को पटना से रमेश ने मुस्तकीम को फोन किया कि बेतिया के फल कारोबारी मो. मुश्ताक के यहां बकाया लेने के लिए चलना है। उधर से उसने रमेश को सरैया के मणिपुर में बुलाया।मणिपुर से दोनों साथ ही बेतिया गए। कार मुस्तकीम ही चला रहा था। इस बीच वह लगातार फोन से बात किए जा रहा था। इस पर रमेश ने उसे टोका भी।

बेतिया पहुंचते ही पता चला कि जिसके यहां रुपये बकाया है, वह बेतिया से बाहर गया है। वे दोनों लौट रहे थे। इसी दौरान बेतिया से कुछ आगे बढ़ते ही कार से पीछा कर रहे बदमाशों ने ओवरटेक कर इन दोनों को घेर लिया और पहले कार चला रहे मुस्तकीम के हाथ बांध दिए। उसके बाद रमेश को कब्जे में ले लिया और आधे घंटे के बाद एक दुकान से नारियल की रस्सी खरीदकर उसके हाथ-पैर बांध दिए। बाद में आंख पर भी पट्टी बांध दी और एक स्थान पर रुक कर गंडक में फेंक दिया। 


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