रिहा होने के बाद व्यवसायी पुत्रों ने कहा - कुछ भी हो जाए, अब नहीं आएंगे बिहार
अपहर्ताओं के चंगुल से रिहा हुए दो भाईयों ने कहा-जिंदा लौटने की उम्मीद खत्म हो चुकी थी। बरामदगी के बाद दोनों भाइयों ने एक ही बात कही- अब कुछ भी हो जाए, हम बिहार नहीं आएंगे।
पटना [जेएनएन]। उनके चेहरे पर खौफ था। फटी कमीज से अपहरणकर्ताओं की यातना दिख रही थी। कपिल और सुरेश के साथ जानवरों से बदतर सलूक किया गया था। हाथ, पैर, गर्दन, जांघ और पीठ पर इंजेक्शन के 37 निशान थे। लात-घूसे और डंडे की पिटाई से पूरा बदन काला पड़ गया था।
उनके आंसू उस वक्त छलक पड़े जब कहा- हमे बेहोश करने के बाद घसीटते हुए एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने तक ले जाया जाता था। 24 घंटे में केवल दो गिलास सुबह और शाम पीने के लिए पानी दिया जाता था। दोपहर के वक्त खाने के लिए चूड़ा देते थे। शौच के लिए भी जाने नहीं देते थे।
मौत को आंखों से करीब तब देखा, जब कनपटी पर पिस्टल सटाकर जान से मारने की धमकी दी जाती थी। जिंदा लौटने की उम्मीद खत्म हो चुकी थी। बरामदगी के बाद दोनों भाइयों ने एक ही बात कही- अब कुछ भी हो जाए, हम बिहार नहीं आएंगे।
गोपाल बनकर मिला था डॉन
रंजीत मंडल ने गोपाल गोयल बनकर सितंबर में व्यापारी भाइयों से मुलाकात की थी और बिहार में मार्बल का बड़ा ठेका दिलाने का दावा किया। उन्होंने एक परिचित इंजीनियर का नाम भी लिया था। वारदात से करीब 15 दिन पहले रंजीत ने उनसे दोबारा संपर्क किया और कहा, बिहार में बड़ा टेंडर निकलने वाला है।
मैं कमीशन लेकर वह काम आपको दिलवा दूंगा। आप कार्यस्थल देखने के लिए बिहार आ जाएं। सुरेश की मानें तो वह भय से आशंकित था, लेकिन रंजीत की चिकनी-चुपड़ी बातों में फंस गया। रंजीत ने एजेंसी के माध्यम से दिल्ली का एयर टिकट कपिल के ई-मेल पर भेज दिया और वापसी का खर्च उन्हें वहन करने को कहा था।
अजीत का मिला था नंबर
कपिल के मुताबिक 21 अक्टूबर की शाम छह बजे पटना एयरपोर्ट पहुंचने के बाद उसे फोन पर कार चालक अजीत का मोबाइल नंबर मिला। संपर्क करने पर अजीत ने उन्हें पार्किंग स्टैंड में बुलाया। वहां टीयूवी 300 कार खड़ी थी, जिस पर बैठकर दोनों भाई गंतव्य के लिए रवाना हुए।
लखीसराय में बदल दी कार
रात करीब 11 बजे कार लखीसराय में एक सिंगल लेन पर पहुंची और रुक गई। कुछ देर बाद पीछे से एक स्कॉर्पियो आई, जिसमें रंजीत उर्फ गोपाल समेत पांच लोगों सवार थे। रंजीत गाड़ी में ही बैठा रहा और उसके गुर्गे नीचे उतरे। फिर दोनों भाइयों को कार से खींचकर बाहर निकाला और बुरी तरह पीटते हुए उन्हें धान के खेत में लेकर चले गए।
इस बीच उनके पिता बाबूलाल ने फोन किया। बदमाशों के कहने पर उन्होंने पिता को बताया कि उनका अपहरण कर लिया गया है। इसके बाद बदमाशों ने दोनों भाइयों के कपड़े उतरवा दिए और उन्हें स्कॉर्पियो में बिठाकर चले गए।
एटीएम से निकाले ढाई लाख
स्कॉर्पियो में बैठाने के बाद बदमाशों ने दोनों भाइयों के हाथ और पैर बांध दिए। मुंह में कपड़ा भी ठूंस दिया और फिर पिटाई शुरू कर दी। लगभग एक घंटे बाद पिता ने फिर फोन किया। इस बार बदमाशों ने स्पीकर ऑन करने के बाद कॉल को दूसरे नंबर पर कांफ्रेंस लगा दिया जिसके बाद फिरौती की मांग की गई।
आधे घंटे बाद दोनों के मोबाइल, लैपटॉप, पर्स, सोने की चेन, जूते, बैग आदि सामान छीन लिए गए और उन्हें कच्चे मकान में कैद कर दिया गया। इसके बाद उन्हें इंजेक्शन देकर बेहोश कर दिया। उनके एटीएम से 2.50 लाख रुपये भी निकाल लिए। चार घंटे बाद जब उन्हें होश आया तो उन्होंने खुद को एक बेड के नीचे पाया।
स्टेशन छोडऩे के बहाने बदलते थे ठिकाना
21 अक्टूबर की रात से मुक्त होने तक बदमाशों ने तीन बार ठिकाने बदले। 23 अक्टूबर की रात करीब बारह बजे बदमाशों ने उनसे कहा कि बॉस ने गलती से आपको उठा लिया है। हम आपको रेलवे स्टेशन तक छोड़ेंगे। यह सुनकर दोनों भाई खुश हो गए। उन्हें स्कॉर्पियो पर बिठाकर कजरा के आश्रम में ले गए और फिर कैद कर दिया। 25 अक्टूबर की रात उन्हें आश्रम से निकालकर जंगल में एक पेड़ से बांध दिया गया था। पुलिस की सरगर्मी बढऩे पर अपहरणकर्ता दोनों भाइयों को नक्सलियों के हाथों में बेचने की फिराक में थे।
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घसीट कर ले गए सात किलोमीटर
कपिल ने बताया कि 25 अक्टूबर को जंगल में निगरानी रखने के लिए पांच बदमाशों के अलावा 25-30 साल की दो महिलाएं भी आईं। वे बेहोशी की हालत में थे। धुंधला दिख रहा था, लेकिन वे बदमाशों की बातों को सुन सकते थे। उसी रात एक और बदमाश आया। उसने कहा कि इन लड़कों के पिता ने पुलिस को सूचना दे दी है। ठिकाना बदलना होगा। इतना कहते ही बदमाश उन्हें घसीटकर ले जाने लगे। करीब सात किलोमीटर तक उन्हें वैसे ही ले जाया गया। होश में आने पर कपिल को जमीन पर बिठाकर कनपटी पर पिस्तौल सटा दी।
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दिल्ली से लखनऊ तक फैला है कारोबार
बाबूलाल शर्मा के चार बेटे विनोद, कुमेर, सुरेश और कपिल शर्मा हैं। सुरेश और कपिल शर्मा पिता के साथ मार्बल का कारोबार देखने के अलावा लेबर कांट्रेक्टर भी हैं। मूल रूप से राजस्थान निवासी और दिल्ली में मार्बल के बड़े कारोबारी बाबूलाल शर्मा की श्रुतिया कंस्ट्रक्शन कंपनी का कारोबार लखनऊ तक फैला है।
तीन साल से बाबूलाल और उनके बेटे गोमतीनगर सहित लखनऊ के कई इलाकों में मार्बल की सप्लाई करते हैं। बाबूलाल के दोनों बेटे मार्बल सप्लाई के साथ लेबर कांट्रेक्टर का काम भी करते हैं। अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त कराये गए दोनों भाइयों कपिल शर्मा और सुरेश शर्मा ने पुलिस को बताया कि गोमती नगर में उनका काम महीनों चला। उनकी कंपनी में 150 से अधिक कर्मचारी हैं। पूरा परिवार कई वर्ष से दिल्ली के बदरपुर में रह रहा है।