ओवैसी के बयान ने 'सीमांचल' को ट्विटर के टॉप ट्रेंड में किया शामिल
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के संयोजक असदुद्दीन ओवैसी ने जैसे ही यह एलान किया कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल के इलाके से ही चुनाव लड़ेगी, उनके इस एलान के बाद ट्विटर पर सीमांचल टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया और दिन भर ट्रेंड करता रहा।
पटना[काजल] ।ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के संयोजक असदुद्दीन ओवैसी ने जैसे ही यह एलान किया कि उनकी पार्टी इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल के इलाके से ही चुनाव लड़ेगी, उनके इस एलान के बाद ही ट्विटर पर सीमांचल टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया और दिन भर ट्रेंड करता रहा । राजनीतिक गलियारे में और तमाम सोशल साइट्स पर बिहार का सीमांचल आज चर्चा का विषय भी बना रहा।
सीमांचल से चुनाव लड़ने का ओवैसी का फैसला इसलिए अहम था क्योंकि ओवैसी ने कहा कि सभी बड़ी पार्टियों ने सीमांचल के इलाके को नजरअंदाज किया है। सीमांचल का क्षेत्र जिसमें पूर्णिया, सहरसा, किशनगंज, मधेपुरा, कटिहार, अररिया आदि इलाके शामिल हैं।
ओवैसी की पार्टी सीमांचल मे कितनी सीटों पर लड़ेगी, यह अभी तय नहीं है। उन्होंने फिलहाल किसी पार्टी के साथ तालमेल का भी एलान नहीं किया है। सीमांचल में 5 नवंबर को वोटिंग होनी है। सीमांचल को ही ओवैसी ने क्यों चुना और आज सीमांचल अहम क्यों हो गया कि सोशल साइट्स पर छाया रहा इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सीमांचल क्षेत्र मुस्लिम बहुल इलाका है, और 40 से 60 प्रतिशत मुस्लिम वोट बटोरने के लिेए ओवैसी ने सीमांचल को चुना।
कयास लगाए जा रहे हैं कि लालू और नीतीश कुमार के लिए ओवैसी बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। क्योंकि कुछ दिन पहले बिहार दौरे पर आए ओवैसी ने सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद पर हमला करते हुए उन दोनों को सीमांचल इलाके के पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार ठहराया था। ओवैसी ने कहा था कि नीतीश कुमार का सीमांचल के विकास का दावा धोखा और झूठ का पुलिंदा है। यहां पिछड़ापन आज भी बरकरार है।
हालांकि जेडीयू नेता के सी त्यागी ने कहा कि बिहार की जनता छह महीने में अपना मन बना चुकी है कि उसे नीतीश को जिताना है। किसी के आने जाने से उन्हेेेें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं राजद के मनोज झा ने भी कहा कि उनके मुस्लिम वोट में ओवैसी सेंध लगा सकते हैं।उन्होंने भ एमआईएम के मैदान में आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।