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नौ साल बाद फिर से चुनावी मंच पर एक साथ दिखेंगे पीएम मोदी-सीएम नीतीश

नौ साल के बाद एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार एक साथ एनडीए की चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। ये रैली आगामी तीन मार्च को संभावित है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 06:58 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 09:27 PM (IST)
नौ साल बाद फिर से चुनावी मंच पर एक साथ दिखेंगे पीएम मोदी-सीएम नीतीश
नौ साल बाद फिर से चुनावी मंच पर एक साथ दिखेंगे पीएम मोदी-सीएम नीतीश

पटना, जेएनएन। लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीटों का समझौता होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार एक साथ एक मंच से लोगों को संबोधित करेंगे और बिहार में मजबूत एनडीए का संदेश देने की कोशिश करेंगे। एनडीए की होने वाली रैली में सबसे दिलचस्प बात यह होगी कि नौ साल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार किसी चुनावी सभा को एक साथ संबोधित करेंगे।

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ऐसे में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पटना में होने वाली एनडीए की संभावित रैली में जब दोनों नेता एक सियासी मंच पर दिखेंगे तो सभी की नजरें टिकी रहेंगी। पटना में एनडीए की इस मेगा रैली की संभावित तारीख तीन मार्च मानी जा रही है।

कभी नीतीश ने नरेंद्र मोदी को बताया था सांप्रदायिक 

रैली को लेकर जाहिर है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंच से नरेंद्र मोदी को एक बार फिर बिहार की जनता से प्रधानमंत्री बनाने की अपील करेंगे। लेकिन इस रैली में एक बात ध्यान देने वाली ये भी रहेगी कि कभी नरेंद्र मोदी को सांप्रदायिक बताने वाले नीतीश कुमार मोदी के पक्ष में वोट मांगेंगे और उनकी उपलब्धियां भी बताएंगे।

कभी पीएम मोदी और सीएम नीतीश के बीच हुई थी जुबानी जंग

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जुबानी जंग काफी चर्चित रही थी। लेकिन चार साल के दौरान आज बिहार की सियासत की तस्वीर काफी बदल चुकी है। बीजेपी और जदयू की आज बिहार में गठबंधन सरकार है और साथ ही मोदी-नीतीश के संबंध भी नए दौर में पहुंच चुके हैं। 

बात करें साल 2013 की, तो करीब 17 सालों से जारी भाजपा के साथ गठबंधन से नीतीश कुमार इसलिए अलग हो गए थे क्योंकि बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव 2014 के लिए प्रधानमंत्री के पद का दावेदार बना दिया था। उसके बाद नीतीश कुमार ने लालू से हाथ मिला लिया था।

महागठबंधन से मिलकर बनाई सरकार

नीतीश कुमार ने साल 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव राजद, कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर लड़ा और जबर्दस्त जीत हासिल की। लेकिन इसके बाद कुछ मुद्दों को लेकर महागठबंधन में खटपट शुरू हो गई और बड़े ही नाटकीय घटनाक्रम में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

इस पूरी कवायद में जदयू के कद्दावर नेता शरद यादव नाराज होकर पार्टी से अलग हो गए। इधर संसद में ट्रिपल तलाक, और असम में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर बीजेपी और जदयू के बीच मतभेद होने के बाद भी दोनों पार्टियां बिहार की 40 में से 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी और छह सीटें रामविलास पासवान की पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी को दी गई हैं।

कुछ दिन पहले ही बीजेपी के साथ सीटों पर समझौते के बाद नीतीश कुमार ने अमित शाह और रामविलास पासवान के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि बिहार में इस बार भी एनडीए 2009 जैसा प्रदर्शन दोहराएगा।

राहुल की जन आकांक्षा रैली को जवाब 

जदयू के सूत्रों के अनुसार तीन फरवरी को पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रस्तावित जन आकांक्षा रैली, जिसमें महागठबंधन के नेता भी शामिल होंगे, उस रैली को जोरदार जवाब देने के लिए बिहार में एनडीए ने यह मेगा रैली आयोजित की है।

रैली को लेकर तैयारी शुरू

एनडीए की इस चुनावी सभा को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा था कि बिहार में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एनडीए के घटक दलों के बीच में इस जनसभा को लेकर बातचीत चल रही है मगर कोई तिथि निर्धारित नहीं हुई है। हालांकि, जदयू के सूत्रों ने बताया कि तीम मार्च को जनसभा गांधी मैदान में होगी जिसको सफल बनाने को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।


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