बिहार में शराबबंदी के बाद शराब की तस्करी और अब बारी पेट्रोल-डीजल की, जानिए
बिहार में शराबबंदी के बाद शराब की स्मगलिंग शुरू हो गई थी तो अब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से राज्य में पेट्रोल-डीजल की भी स्मगलिंग बढ़ गई है जो उत्तरप्रदेश और झारखंड से हो रही है।
पटना [दिलीप ओझा]। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद शराब की स्मगलिंग तो हो ही रही है। इधर कुछ समय से सूबे में पेट्रोल-डीजल की स्मगलिंग बढ़ गई है। यह बकायदा एक उद्योग का रूप धारण कर चुका है। बिना कागजात झारखंड और उत्तर प्रदेश से पेट्रोल -डीजल बिहार लाकर बेचा जा रहा है।
दरअसल, बिहार की तुलना में उत्तर प्रदेश और झारखंड में पेट्रोल-डीजल सस्ता है। इससे सीमावर्ती इलाकों के बिहार स्थित पेट्रोल पंपों का तो नुकसान हो ही रहा है, राज्य सरकार के राजस्व में भी छेद हो रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती। बड़ी बात यह है कि वाहन वाले बिहार में प्रवेश करने से पहले ही पड़ोसी राज्यों में वाहनों में पेट्रोल-डीजल भरवा लेते हैं। स्मगलिंग की तुलना में इससे नुकसान कई गुना ज्यादा है।
कितना है कीमतों में अंतर
उत्तर प्रदेश के लखनऊ की तुलना में पटना में पेट्रोल 4.95 रुपये महंगा है। इसी तरह से डीजल भी 4.74 रुपये महंगा है। झारखंड के रांची की तुलना में पटना में पेट्रोल 5.79 रुपये महंगा है जबकि डीजल 01.07 रुपये महंगा है।
झारखंड से अधिकांश पेट्रोल चोरी-छुपे बिहार आता है क्योंकि बिहार आने पर पौने छह रुपये प्रति लीटर फायदा हो जाता है। नेपाल भी इससे अछूता नहीं है। जानकारों का कहना है कि नेपाल में भी पेट्रोल-डीजल बिहार की अपेक्षा सस्ता है। इसलिए वहां से भी पेट्रोल-डीजल गैर कानूनी ढंग से बिहार आ रहा है।
क्यों बिहार में महंगा है पेट्रोल-डीजल
बिहार में पेट्रोल-डीजल की बेसिक प्राइस पर पांच फीसद अतिरिक्त सरचार्ज है। इसलिए पेट्रोल-डीजल की बेसिक प्राइस यहां बढ़ जाती है। इससे वैट भी यहां ज्यादा हो जाता है। बिहार में पेट्रोल पर 26 फीसद और डीजल पर 19 फीसद वैट लगता है। बेसिक प्राइस पर सरचार्ज लगने से वैट की रकम में भी वृद्धि हो जाती है। इसी वजह से झारखंड और उत्तर प्रदेश की तुलना में बिहार में चार से छह रुपये तक पेट्रोल-डीजल महंगा हो जाता है।
अवैध ढंग से करीब 50 हजार लीटर आता है पेट्रोल-डीजल : बिजेंद्र
बिहार पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव बिजेंद्र कुमार सिन्हा का कहना है कि स्मलिंग का कोई डाटा नहीं होता, लेकिन अनुमान है कि 50 हजार लीटर पेट्रोल-डीजल प्रतिदिन अवैध ढंग से बिहार में उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल से आ रहा है। इससे भी कई गुना ज्यादा नुकसान वाहनों के दूसरे प्रदेशों में तेल लेने से हो रहा है।
पेट्रोल-डीजल की बिक्री प्रतिदिन बिहार में कम हो रही
बिहार में प्रवेश करने से पहले ही वाहन चालक उत्तर प्रदेश या झारखंड के पेट्रोल पंपों पर वाहनों में तेल भरा लेते हैं। इससे करीब चार से पांच लाख लीटर पेट्रोल-डीजल की बिक्री प्रतिदिन बिहार में कम हो रही है। यह गैर कानूनी तो नहीं है, लेकिन इससे राज्य सरकार को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है और झारखंड और उत्तर प्रदेश की सरकार को फायदा हो रहा है।
दूसरी ओर सीमावर्ती इलाके के बिहार स्थित करीब 100 से अधिक पेट्रोल पंपों का कारोबार चौपट हो रहा है। कहा कि एक लीटर डीजल पर बिहार सरकार 11.39 रुपया, और पेट्रोल पर 16.60 रुपया वैट लेती है।
सीधे कहें तो बिहार की जगह कोई ग्राहक पड़ोसी राज्य से एक लीटर डीजल लेता है तो बिहार सरकार को 11.39 रुपये का नुकसान होता है। इसी तरह से एक लीटर पेट्रोल पर 16.60 रुपये के राजस्व का नुकसान होता है।बिहार से पड़ोसी राज्य प्रतिदिन छीन लेते हैं
अब अगर प्रतिदिन पांच लाख लीटर पेट्रोल-डीजल की बिक्री बिहार से पड़ोसी राज्य प्रतिदिन छीन लेते हैं तो बिहार सरकार को रोज 55 से 60 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। हैरानी यह कि राज्य सरकार का इस पर ध्यान ही नहीं जा रहा है।