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शराबबंदी के बाद बिहार में आ गई है इथनॉल क्रांति, बन रहे रिकार्ड

शराबबंदी के बाद बिहार में केवल चार डिस्टलरियों ने अपने बूते इथनॉल के उत्पादन में इतिहास रचा है। बिहार इथनॉल बनाने वाले ग्यारह राज्यों में चौथे नंबर पर पहुंच गया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 06:24 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 06:24 PM (IST)
शराबबंदी के बाद बिहार में आ गई है इथनॉल क्रांति, बन रहे रिकार्ड
शराबबंदी के बाद बिहार में आ गई है इथनॉल क्रांति, बन रहे रिकार्ड

पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। शराबबंदी के बाद बिहार में उन डिस्टिलरियों की बल्ले-बल्ले है जो एक समय शराब कंपनियों के लिए स्प्रिट बना रही थीं। ये शराब के लिए स्प्रिट 28 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से आपूर्ति करती थीं और अब पेट्रोल में मिलाने के लिए इथनॉल 40.85 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है।

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शराबबंदी के बाद बिहार में केवल चार डिस्टलरियों ने अपने बूते इथनॉल के उत्पादन में इतिहास रचा है। बिहार इथनॉल बनाने वाले ग्यारह राज्यों में चौथे नंबर पर पहुंच गया है। उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र, कर्नाटक और उप्र के बाद बिहार का नंबर है।

इस तरह मिल रही कामयाबी

बिहार में चार डिस्टलरी क्रमश: हरिनगर शुगर मिल्स, नरकटियागंज शुगर मिल्स, सोनासती शुगर मिल्स और रीगा डिस्टलरी द्वारा मोलैसिस आधारित इथनॉल का निर्माण किया जाता है। इन कंपनियों द्वारा पहले स्प्रिट बनाया जाता था। मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के आला अधिकारी ने कहा कि उनका आंकड़ा यह है कि 2016-17 में 60 हजार 30 किलोलीटर इथनॉल का उत्पादन हुआ। एक किलोलीटर का मतलब एक हजार लीटर है।

वर्ष 2017-18 में अब तक 46 हजार 649 किलोलीटर इथनॉल तैयार किया गया है। जबकि मोलैसिस ईयर नवंबर में खत्म होना है। इथनॉल उत्पादन में आई गति को देख डिस्टलरी अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में लग गई हैैं।

सोनासती डिस्टलरी अभी प्रतिदिन 45 हजार लीटर इथनॉल बनाती है। दिसंबर से वह प्रति दिन 75 हजार लीटर इथनॉल तैयार करेगी। इसकी अनुमति मिल गई है। हरिनगर शुगर मिल्स को भी उत्पादन बढ़ाने की अनुमति मिल गई है।

सीधे तेल कंपनियों को भेज रहे इथनॉल

कंपनियां सीधे तेल कंपनियों को इथनॉल भेज रही हैैं। इसे आइओसी और एचपीसीएल को भेजा जा रहा है। पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथनॉल मिलाने की अनुमति है। वैसे अभी छह प्रतिशत तक इथनॉल मिलाया जा रहा है।

मिल गई है अनुमति

अपने प्लांट से तेल कंपनी तक टैैंकर में इथनॉल पहुंचाने के लिए डिस्टलरी को अब किसी तरह के परमिट लेने की जरूरत नहीं है। वैसे उनके टैैंकर में इलेक्ट्रोनिक लॉक व जीपीएस अनिवार्य किया गया है। इसकी मॉनीटङ्क्षरग मुख्यालय के स्तर पर होती है।


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