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लोकसभा चुनाव मेें हार के बाद बिहार महागठबंधन की हुई बैठक, तेजस्‍वी-मांझी से लेकर कुशवाहा तक मौजूद

लोकसभा चुनाव की हार के बाद पहली बार बिहार महागठबंधन की बैठक पटना में शुरू हुई। बैठक पूर्व मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर चल रही है। इसमें सभी दलों के लोग शामिल हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 07:18 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 09:19 PM (IST)
लोकसभा चुनाव मेें हार के बाद बिहार महागठबंधन की हुई बैठक, तेजस्‍वी-मांझी से लेकर कुशवाहा तक मौजूद
लोकसभा चुनाव मेें हार के बाद बिहार महागठबंधन की हुई बैठक, तेजस्‍वी-मांझी से लेकर कुशवाहा तक मौजूद

पटना, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद पहली बार बिहार महागठबंधन की बैठक पटना में हुई। पूर्व मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित इस बैठक में बिहार महागठबंधन में शामिल सभी दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बैठक में कई ज्‍वलंत मुद्दों पर विमर्श हुआ। हम साथ-साथ चलने की बात हुई। जन सरोकार से जुड़े आंदोलन को साथ-साथ लड़ने का निर्णय लिया गया। 

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महागठबंधन की बैठक में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव के अलावा कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्‍यक्ष मदन मोहन झा, हिंदुस्‍तानी अावाम मोर्चा (हम) की ओर से राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी, राष्‍ट्रीय लाेक समता पार्टी (रालोसपा) की ओर से राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) पार्टी की ओर से मुकेश सहनी मुख्‍य रूप से मौजूद रहे।

सभी दलाें के प्रतिनिधियों की ओर से जारी हस्‍ताक्षर से प्रेस बयान जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, रालोसपा, हम, वीआईपी पार्टी का महागठबंधन महज चुनाव के लिए नहीं था। यह गठबंधन आवाम के सरोकारों को उसकी समेकित पूर्ति के लिए था और हम अपनी सामूहिक जिम्मेवारी को भली भांति समझते हैं। हम सब का यह मानना है कि गरीब गुरबा, पिछड़ा, दलित, वंचित समाज और युवाओं के सरोकारों से मौजूदा केंद्र और राज्य की सरकार को रत्ती भर भी परवाह नहीं है। 

हम तमाम दलों के लिए हमारी राजनीति सिर्फ चुनाव लड़ने और सीटों के बंटवारे का नाम नहीं है।  हमारी समकालीन राजनीति का ताल्लुक सर्वप्रथम इस बात से है कि किस प्रकार इस मौजूदा संकट की घड़ी से राज्य और देश को निकाला जाए। अर्थव्यवस्था आज़ादी के बाद के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। बेरोजगारी हर घर में दस्तक दे चुकी है, असंगठित क्षेत्र और किसानी लहूलुहान है। सदियों से स्थापित गुरु रविदास के मंदिर को तोड़ा जा रहा है। ग़रीबों की रोज़ी-रोटी और आशियाने को उजाड़ा जा रहा है।

आरएसएस एवं बीजेपी सरकार संविधान और आरक्षण को समाप्त करने की साज़िश रच रही है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंशा भी ज़ाहिर की है। हम सभी यह भी जानते हैं कि सामाजिक सौहार्द किस बदहाली से गुजर रहा है। बिहार में एनडीए गठबंधन 12 वर्ष से अधिक समय से शासन कर रहा है फिर भी बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, पलायन, व्यापार और क़ानून व्यवस्था का बुरा हाल है। 

महागठबंधन के तमाम सहयोगी दल इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि मौजूदा दौर में राजनीति के स्वरूप और चरित्र को बदलना भी हमारी जिम्मेदारी है। राज्य और राष्ट्र को एक वैकल्पिक लोकन्मुख राजनीति का का तेवर दिया जाए ये हम सबों का भरोसा है। हमारा गठबंधन सिर्फ नेताओं के बीच का गठबंधन नहीं, बल्कि समाज के हाशिये पर पड़े लोगों का हाथ पकड़ कर चलने की प्रतिबद्धता का दूसरा नाम है। आज की इस बैठक में हमने यह निर्णय लिया है कि आने वाले दिनों में हम जनसंघर्षों के माध्यम से जन सरोकार के मुद्दों पर राज्य भर में लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के साथ शांतिपूर्ण संघर्ष में उनके सहभागी होंगे।

महागठबंधन में शामिल दलों के अलावा राजद से जगदानंद सिंह, राम चन्द्र पूर्वे, आलाेक महेता समेत अन्य वरीय नेता पहुंचे हुए हैं। हालांकि बैठक में शामिल होने से पहले हम के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा कि बैठक और पहले बुलाई जानी चाहिए थी। बैठक बुलाने में देरी हुई है, जो राजनीतिक चूक है। 


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