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घटिया खोआ, पनीर और दूध के कारोबार पर कसेगा शिकंजा, सरकार ने बना ली है योजना

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Food Safety and Standard Authority of India) ने हर जिले से पनीर खोआ मिठाइयों के नमूने मंगा माइक्रोबायोलॉजिकल जांच को भेजे देश भर के नमूनों की जांच रिपोर्ट आने के बाद गुणवत्ता सुनिश्चित कराने के लिए बनाई जाएगी रणनीति

By Shubh NpathakEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 01:00 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 01:00 PM (IST)
घटिया खोआ, पनीर और दूध के कारोबार पर कसेगा शिकंजा, सरकार ने बना ली है योजना
दूध के बने नकली उत्‍पादों से खराब हो रही सेहत। जागरण

पटना, जेएनएन। घटिया दुग्ध उत्पादों (Substandard milk product) के कारोबार पर रोक लगाने के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Food Safety and Standard Authority of India) ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके तहत देश के सभी जिलों से खोआ,  पनीर और मिठाइयों के नमूने मंगाकर उन्हें माइक्रो बैक्टीरियल जांच के लिए आंध्र प्रदेश की राष्ट्रीय प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। अभिहित पदाधिकारी अजय कुमार ने पटना से सात और भोजपुर से पांच नमूने जांच के लिए भेेजे हैं।

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हर प्रदेश में माइक्रोबैक्टीरियल जांच की हो सकती है सुविधा

एफएएसएसआइ ने 2018 में भी दूध और दुग्ध उत्पादों का राष्ट्रीय सर्वे किया था। उस समय 6432 सैंपल की जांच की गई और उसमें से 456 असुरक्षित और संक्रामक थे। इनमें एफ्लाटॉक्सिन-एम-1, कीटनाशक और एंटीबायोटिक तक पाए गए थे। 12 नमूनों की जांच में यूरिया, हाइड्रोजन परऑक्साइड, डिटर्जेंट आदि की मिलावट पाई गई थी। उस समय घटिया दुग्ध उत्पादों के बहुत से कारोबारी सैंपल खराब होने की बात कह कर बिना सजा पाए छूट गए थे। इसलिए एफएएसएसआइ ने इस बार हर जिले को दुग्ध सैंपल सुरक्षित रखने के लिए खाद्य संरक्षा पदाधिकारी के वाहन से लेकर कार्यालय तक के लिए रेफ्रिजरेटर की व्यवस्था की है।

कैंसरकारी है एफ्लाटॉक्सिन-एम-1

एफएएसएसआइ दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित कराने में इसलिए लगा है क्योंकि उसमें घातक कैंसरकारी एफ्लाटॉक्सिन एम-1 नामक तत्व पाया गया था। यह दुधारू पशुओं को दिए जाने वाले चारे में मिलता है। यह मक्का, मूंगफली, कपास जैसे कुछ खास किस्म की फसलों में होने वाले  फंफूद से जानवरों के शरीर में पहुंचता है। एक किलोग्राम खाद्य पदार्थ में एक मिलीग्राम से ज्यादा एफ्लाटॉक्सिन होने से लिवर संबंधी पीलिया जैसे घातक रोग की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। दूध में मैल्डोडेक्सट्रिन नामक एंटीबायोटिक भी पाया गया था। इससे दूध में फैट की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अलावा प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) दूध में चीनी की मात्रा भी ज्यादा पाई गई थी।


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