साइकिल की दुकान से राजनीति का सफर, बिंदी यादव का रहा है अपराध से नाता
आदित्य हत्याकांड का आरोपी बिंदी यादव का राजनीति से लेकर अपराध की जगत से भी नाता रहा है।
पटना [जेएनएन]। गया में 7 मई 2016 को हुई रोडरेज की घटना ने बिहार समेत पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उस रात महज गाड़ी से साइड लेने के विवाद में आदित्य सचदेवा नामक छात्र की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। अपने राजनीतिक रसूख का दुरुपयोग कर निर्दोष लड़के की जान लेने का आरोप जिस शख्स पर लगा था वो तब जेडीयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी का बेटा रॉकी यादव था।
रॉकी यादव जो कि इस हत्याकांड में दोषी करार दिया गया है के परिवार का गया समेत बिहार के राजनीतिक गलियारे में खासा राजनीतिक दबदबा है। शायद यही कारण था कि देशद्रोह के आरोपी उसके पिता बिंदी यादव को भी तब जिला प्रशासन की तरफ से सरकारी सुरक्षा मुहैया कराई गई थी।
जानिए रॉकी के पिता बिंदी यादव की कहानी....
गया की राजनीति में वजूद रखने वाला बिंदेश्वरी यादव उर्फ बिंदी यादव खुद भी गया जिला परिषद का अध्यक्ष रह चुका है, जहां उसने राजनीति में अपनी खास पैठ बनाई। रॉकी के पिता बिंदी यादव के राजनीतिक वजूद ने ही उसकी बीवी मनोरमा यादव को एमएलसी बनवाया था।
मनोरमा देवी पिछले साल ही अनुज कुमार सिंह को हराकर जेडीयू के कोटे से एमएलसी बनी हैं। इसके अलावा बिंदी का छोटा भाई शीतल यादव भी गया जिला परिषद का उपाध्यक्ष था जो इस बार चुनाव में हार गया। बिंदी यादव ने महज 10 साल के अंदर गया में जुर्म की बिसात बिछायी और उसका बादशाह बन बैठा।
एंट्री माफिया से राजनेता तक
बिंदी यादव की पहचाना राजनीतिज्ञ के साथ ही गया समेत आसपास के झारखंड के इलाके में एंट्री माफिया के रूप में होती है। इसका सबसे बड़ा कारण ट्रकों की एंट्री से उसकी होने वाली कमाई है। बिंदी यादव के गुर्गे झारखंड से आने वाले ट्रकों से रोजाना लाखों रुपए की उगाही अवैध रूप से एंट्री कराने के नाम पर लेते हैं। इसके अलावा उसकी कंस्ट्रक्शन कंपनियां और बालू के घाट भी हैं।
राष्ट्रद्रोह का आरोप, लेकिन सरकारी सुरक्षा
बिंदी यादव पर पहले भी राष्ट्रदोह समेत कई मामले चल चुके हैं। वर्ष 2011 में पुलिस ने उसके पास से प्रतिबंधित हथियारों की 6000 गोलियां बरामद की थीं। इसके बाद उस पर राष्ट्रद्रोह को लेकर केस दर्ज हुआ था। बिंदी इस मामले में कई दिनों तक जेल में भी रहा था।
तब सीआरपीएफ और बिहार पुलिस की ज्वाइंट टीम ने बिंदी के कई ठिकानों पर छापा मार कर प्रतिबंधित हथियारों के कारतूस को बरामद किया था। बिंदी कई मामलों में जमानत मिलने के बाद बाहर निकला था। बिंदी पर लूट, अपहरण और हत्या के कई मामले दर्ज हैं। 9 फरवरी 2016 को गया जिला सुरक्षा समिति की बैठक में बिंदी को भुगतान के आधार पर जिला प्रशासन ने सुरक्षा दी थी।
नक्सलियों का भी है मददगार
बिंदी पर नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी को प्रतिबंधित हथियारों की गोलियां सप्लाई करने का आरोप है।लंबे समय तक जेल में बंद रहने वाले बिंदी के घर से जब 2011 में कई हथियारों की गोलियां मिली थी तो अधिकारियों की आंखे भी फटी की फटी रह गई थी। गया का इलाका माओवाद से खासा प्रभावित इलाका है जहां नक्सली वारदातें आए दिन होती रहती हैं। चंद रोज पहले ही बिंदी के घर से हथियारों का जखीरा मिला था।
दी थी सफाई- मेरे बेटे ने आत्मरक्षा के लिए चलाई थी गोली
आदित्य सचदेवा की हत्या के बाद पुलिस की हिरासत में रहे बिंदी यादव ने दावा किया था कि उसका बेटा निर्दोष है और उन युवकों ने उससे मारपीट की। बिंदी के मुताबिक सचदेवा और उसके साथ रहने वाले युवक नशे में थे।बिंदी ने बताया था कि उसके बेटे के पास लाइसेंसी हथियार है जो झगड़े के दौरान चल पड़ा और सचदेवा की मौत हो गई। बिंदी ने कहा था कि आखिरकार सभी को आत्मरक्षा का अधिकार है।