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बिहार: मॉनसून सत्र में महागठबंधन की अग्निपरीक्षा, तेजस्वी पर सियासी बवाल तय

बिहार विधानमंडल का मॉनसून सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं। भ्रष्‍टाचार के आरोपों से घिरे डिप्‍टी सीएम तेजस्‍वी के इस्‍तीफा को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी कर चुका है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 23 Jul 2017 07:50 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jul 2017 09:29 PM (IST)
बिहार: मॉनसून सत्र में महागठबंधन की अग्निपरीक्षा, तेजस्वी पर सियासी बवाल तय
बिहार: मॉनसून सत्र में महागठबंधन की अग्निपरीक्षा, तेजस्वी पर सियासी बवाल तय

पटना [अरविंद शर्मा]। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अगर अपनी बेगुनाही के सबूत को सार्वजनिक नहीं कर पाए तो 28 जुलाई से हफ्ते भर चलने वाले विधानसभा के मॉनसून सत्र में पक्ष-प्रतिपक्ष की अग्निपरीक्षा तय है। तीन हफ्ते की दुविधा के दौर से गुजर कर महागठबंधन की एकता लाल निशान पार कर जाएगी। साथ ही भाजपा भी जदयू से अगर-मगर के रिश्ते से उबर कर आरपार के लिए तैयार हो चुकी होगी।

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लालू परिवार पर संकट के बाद बिहार के राजनीतिक हालात बता रहे हैं कि सदन के अंदर-बाहर महासंग्राम की पटकथा अंतिम अध्याय तक पहुंच गई है। सत्र शुरू होते ही सभी दलों की राजनीतिक प्रतिबद्धता कसौटी पर होगी। तेजस्वी यादव के इस्तीफे के सवाल पर राजद-जदयू के पौने दो साल पुराने संबंधों का सच सबके सामने होगा तो महागठबंधन सरकार में कांग्रेस की भूमिका भी अच्‍छी तरह परिभाषित हो जाएगी। जदयू की मनोदशा से पर्दा हटते ही भाजपा भी द्वंद्व से बाहर निकल सकती है।

डिप्टी सीएम पर सीबीआई के शिकंजे के बाद से राजद-जदयू की दोस्ती का रक्षा सूत्र कमजोर पडऩे लगा है। दोनों दलों के नेता-प्रवक्ता के बोल बेलगाम होते जा रहे हैं। तेजस्वी से बेगुनाही के सबूत मांगने के मुद्दे पर जदयू थोड़ा भी समझौता करने के मूड में नहीं है। राजद के महारथी भी जदयू की भाषा में ही जवाब दे रहे हैं।

बदल सकता है सदन का समीकरण
तेजस्वी के पास खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए वक्त काफी कम है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पहले से ही नीतीश कुमार के साथ खड़ी भाजपा की जदयू से दोस्ती-दुश्मनी का भाव साफ हो जाएगा, तब वह खुलकर मैदान में आ सकती है। ऐसा हुआ तो सदन में पक्ष-विपक्ष के संबंधों को परिभाषित करने का मापदंड बदल जाएगा।

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असहज हो सकते हैं डिप्टी सीएम
सदन में सबकी नजरें नीतीश कुमार की दायीं सीट पर टिकी होंगी, जिसपर डिप्टी सीएम के बैठने की व्यवस्था होती है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे तेजस्वी क्या नीतीश के करीब बैठकर सहज रह सकेंगे? बंद कमरे की बात अगर छोड़ दें तो सीबीआई छापे के बाद से दोनों नेताओं में सार्वजनिक रूप से मुलाकात नहीं हुई है। सवाल उठता है कि सदन में नीतीश की शुचिता व जदयू विधायकों की नजरों का मुकाबला कैसे करेंगे तेजस्वी?

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