बिहार में सूचना के अधिकार का करना है उपयोग? जल्दी बनवाइए आधार कार्ड ...जानिए
बिहार के विश्वविद्यालयों ने आरटीआइ के तहत सूचना लेने के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके तहत अब आधार कार्ड या कोई वैकल्पिक पहचान पत्र की कॉपी देना अनिवार्य कर दिया गया है।
पटना [दीनानाथ साहनी]। लोक सूचना का अधिकार कानून (आरटीआइ) का दुरुपयोग करने व फर्जी नाम से सूचना पाने के लिए आवेदन करने वालों पर शिकंजा कस गया है। आरटीआइ केतहत सूचना मांगने के लिए अब आवेदक को आधार कार्ड की छायाप्रति लगाना अनिवार्य होगा। यह व्यवस्था बिहार के विश्वविद्यालयों ने लागू की है।
बिहार राज्य सूचना आयोग के सूत्रों ने बताया कि फर्जी नाम से आरटीआइ के जरिए सूचना मांगने का मामला बढऩे लगा है। इसलिए सूचना मांगने वालों के लिए अब आधार देना अनिवार्य होगा।
फर्जी नामों से सूचना मांगने के 107 मामले उजागर
मिली जानकारी के मुताबिक मार्च 2017 से जुलाई 2018 तक विश्वविद्यालयों में फर्जी नाम से आरटीआइ में सूचना मांगने के 86 मामले सामने आए। इस मामले में सरकारी महकमा भी अछूता नहीं है। शिक्षा विभाग में ही फर्जी नामों से सूचना मांगने के अबतक 21 मामले आए।
इन घटनाओं को विश्वविद्यालयों ने गंभीरता से लिया। मगध विश्वविद्यालय (बोधगया), बीआर अम्बेदकर विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर), बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा), जय प्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा), तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) ने फर्जी नामों से आरटीआइ में सूचना मांगने की घटनाओं को देखते हुए आवेदनकर्ता के लिए आधार कार्ड की छायाप्रति लगाना अनिवार्य कर दिया है। मगध विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ किया है कि आधार के बिना किसी को भी सूचना नहीं दी जाएगी। फर्जी नामों से आरटीआइ के तहत सूचना मांगे जाने की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी।
आधार की अनिवार्यता से फर्जीवाड़े में कमी
आयोग का मानना है कि आरटीआइ में सूचना पाने के लिए आधार लगाने की अनिवार्यता से फर्जी नाम से सूचना मांगने वालों में कमी आएगी। अगर किसी आवेदक के पास आधार नहीं है तो वह वोटर आइडी या कोई और प्रमाणित पहचान पत्र सूचना के लिए आवेदन में लगा सकेगा। लेकिन बिना किसी पहचान पत्र के किसी को सूचना नहीं मिलेगी।
आरटीआइ में भारतीय नागरिकों को सूचना देने का प्रावधान है। सूचना मांगने वाला भारत का नागरिक है या नहीं, इसकी जानकारी आरटीआइ के आवेदन के माध्यम से नहीं मिल पाती है। इसलिए आधार या कोई पहचान पत्र अनिवार्य है।
यह व्यवस्था लागू होने के बाद अब विश्वविद्यालयों में आरटीआइ के आवेदन काफी कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। पटना विश्वविद्यालय के एक अफसर ने भी बताया कि विश्वविद्यालय में कर्मचारी या छात्र दूसरे नामों से आरटीआइ लगाकर सूचना मांगते हैं और फिर सूचना का दुरुपयोग करते हैं।
क्या कहता है आरटीआइ एक्ट
इस मसले पर पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि आरटीआइ कानून के तहत दाखिल की गई एप्लीकेशन कानूनन शत प्रतिशत ठीक है। आरटीआइ एक्ट में कहीं भी ऐसा प्रावधान नहीं है, आवेदन अपना पहचान नहीं बता सकता। इसलिए आधार को अनिवार्य करना आवश्यक भी है, ताकि आरटीआइ में फर्जी नाम से सूचना मांगने वाले पर रोक लग सके। यह सच है कि सूचना का अधिकार अधिनियम स्पष्ट करता है कि किसी भी नागरिक को सरकार के कार्यों, निर्णयों, योजनाओं, दायित्वों आदि से जुड़ी प्रत्येक जानकारी मांगने का अधिकार है और यह सवाल के रूप में भी मांगी जा सकती हैं।