रोजा तोड़कर इस युवक ने बचा ली नवजात की जान, कही ये बड़ी बात
दरभंगा जिले के एक युवक, मोहम्मद अशफाक ने इंंसानियत की नई मिसाल कायम की है। उन्होंने अपना रोजा तोड़कर रक्तदान किया औऱ एक नवजात की जान बचा ली।
पटना [जेएनएन]। जहां लोग धर्म के लिए एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं वहीं एक युवक ने धर्म से बढ़कर मानवता को तवज्जो दिया और अपना रोजा तोड़कर एक नवजात बच्चे की जान बचाई। ये हैं दरभंगा जिले के मोहम्मद अशफाक जिन्होंने मानवता की मिसाल पेश की है। उन्होंने दो दिन के बच्चे की जान बचाने के लिए अपना रोजा तोड़ा और रक्तदान किया।
एसएसबी जवान रमेश सिंह के नवजात बच्चे की हालत जन्म के बाद से खराब थी। उसके शरीर में खून की कमी थी। अशफाक से मिले खून से उसे नई जिंदगी मिली। अशफाक ने कहा कि रोजा से ज्यादा एक बच्चे की जान बचाना जरूरी था।
एसएसबी जवान के नवजात बच्चे की हालत थी नाजुक
एसएसबी जवान रमेश कुमार सिंह की पत्नी आरती कुमारी ने दो दिन पहले एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन के बाद बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के बाद बच्चे की हालत बिगड़ने लगी थी। उसे मां से अलग कर आईसीयू में रखा गया था। डॉक्टर ने बच्चे को बचाने के लिए खून की मांग की थी।
उसका ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव (रेयर) होने के कारण खून आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। अशफाक को जब इसकी सूचना मिली तो वह तुरंत खून देने के लिए तैयार हो गए।
फास्टिंग की वजह से डॉक्टर नहीं ले रहे थे खून
अशफाक खून देने के लिए हॉस्पिटल तो आ गए, लेकिन डॉक्टर ने उनके भूखे होने के चलते खून निकालने से मना कर दिया। अशफाक ने कई बार ब्लड निकालने का आग्रह किया, लेकिन डॉक्टर तैयार न थे। इसके बाद अशफाक ने खाने का सामान मांगाकर खाया और बच्चे को खून दिया।
अशफाक ने बताया-फेसबुक से मिली थी सूचना
रमेश के बच्चे को ओ- नेगेटिव ब्लड ग्रुप के खून की जरूरत थी। उसने अपने जानने वालों से पूछा, लेकिन किसी का ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव नहीं था। अंत में रमेश ने फेसबुक पर किसी ओ-नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से खून देने की अपील की।
अशफाक ने बताया कि उन्हें फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बच्चे के लिए ओ- नेगेटिव खून की जरूरत की बात पता चली। उन्होने कहा कि मैं जानता था कि यह ग्रुप रेयर है। इसलिए मैंने रक्तदान करने का फैसला किया और हॉस्पिटल पहुंचा। मैं जरूरतमंद बच्चे के काम आ सका इससे अच्छी बात क्या हो सकती है, यही सबसे बड़ा रोजा है।