कारीगर से हुआ लड़की को प्यार, दोनों शादी कर रहे थे कि तभी...
घर में काम करने आए कारीगर से युवती को प्यार हो गया और एक साल तक चले इस प्रेम संबंध के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया। लेकिन शादी के बीच में ही एक युवक आ गया।
पटना [जेएनएन]। घर में कारीगर का काम करने आया था युवक जिससे घर के मालिक की बेटी को प्यार हो गया और दोनों घंटों बातें करते। धीरे-धीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ा और दोनों ने शादी कर सारी उम्र साथ रहने का वादा किया।
लेकिन जब दोनों शादी करने मंदिर पहुंचे कि एक अंजान युवक मंदिर आया और कहने लगा कि वह दो सालों से कंचन से प्यार करता है और वह किसी और से शादी कैसे कर सकती है? लेकिन कंचन ने लड़के को पहचानने से इंकार कर दिया और कहा कि मेरा प्यार बस करण है मैं किसी को नहीं जानती। लोगों ने युवक को भगा दिया और उनकी शादी संपन्न हुई।
मामला शेखपुरा जिले का है जहां 21 साल की कंचन कुमारी को एक साल पहले घर बनाने आए कारीगर से प्यार हो गया था। एक साल तक दोनों की लव स्टोरी चली इसके बाद उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया। प्रेमी करण कुमार के परिजनों को इससे आपत्ति नहीं थी, लेकिन कंचन के परिवार को यह मंजूर न था।
काफी कोशिश के बाद प्रेमी जोड़े का परिवार इस शादी के लिए राजी हुआ। कंचन अपने प्रेमी के साथ शादी कर ही रही थी तभी उसका दो साल पुराना प्रेमी आ गया। उसने कहा कि कंचन से मैं दो साल से प्यार कर रहा हूं और अब वह किसी और से शादी कर रही है।
जब कंचन से उस युवक के संबंध में पूछा गया तो उसने लड़के को पहचानने से इनकार कर दिया। प्रेमिका द्वारा पहचानने जाने से इनकार के बाद लड़के के पास वहां से चले जाने के शिवा कोई चारा न था और उसने वैसा ही किया। पूर्व प्रेमी में रूप में आई विघ्न टलने के बाद कंचन और करण की शादी हुई।
घाटको सुम्भा के अमीरक महतो की बेटी कंचन शेखपुरा शहर के गिरहिण्डा मुहल्ले मे अपनी बहन के यहां रहकर पढ़ती थी। वहीं हुसैनाबाद के सुरेश महतो का 22 वर्षीय बेटा करण राज मिस्त्री का काम करता था। इसी बीच करण और कंचन मिले और दोनों को प्यार हो गया।
कंचन के परिजनों को बेटी का यह प्रेम प्रसंग मंजूर न था। वे लोग किसी कीमत पर करण से अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहते थे।करण कंचन को लेकर अपने गांव हुसैनाबाद आ गया। यह मामला पंचायत के मुखिया आलोक के पास गया।
दोनों ने एक-दूसरे का हाथ जिंदगी भर तक थामे रहने की कसमें खाते हुए विवाह करने की इच्छा जताई। करण के परिजन भी इस शादी के लिए राजी थी। शादी से पहले तक कंचन के परिजन उसे वापस चलने को कहते रहे। गांव के मंदिर में कंचन और करण की शादी संपन्न हुई।