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बिहार में तीन गांवों का एक गैंग, इसकी तलाश में सात राज्यों की पुलिस ...जानिए

बिहार के कटिहार में तीन गांवों के शातिर अपराधियों के एक गिरोह की तलाश एक-दो नहीं बल्कि सात राज्यों की पुलिस को है। अपराधियों की तलाश में दिल्ली व मुंबई पुलिस तक यहां आती रहती है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 06:36 PM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 10:29 PM (IST)
बिहार में तीन गांवों का एक गैंग, इसकी तलाश में सात राज्यों की पुलिस ...जानिए
बिहार में तीन गांवों का एक गैंग, इसकी तलाश में सात राज्यों की पुलिस ...जानिए

कटिहार [प्रकाश वत्स]। बिहार के कटिहार में तीन गांवों के शातिर अपराधियों के एक गिरोह की तलाश एक-दो नहीं, बल्कि सात राज्यों की पुलिस को है। गिरोह के सदस्‍यों की तलाश में दिल्ली व मुंबई पुलिस तक यहां दौड़ लगाती रहती है। इन राज्यों की पुलिस को अब भी यहां के दो दर्जन से अधिक अपराधियों की तलाश है। इन अपराधियों के खिलाफ जारी वारंट को लेकर कटिहार पुलिस की भी लगातार छापेमारी जारी रहती है। कई अपराधियों को दबोचकर उन प्रदेशों की पुलिस के सिपुर्द भी किया जा चुका है। 

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बंजारा गिरोह के नाम से चर्चित अपराधियों का यहां है बसेरा 

बंजारा गिरोह के नाम से चर्चित इन अपराधियों की कहानी भी अजीब है। लगभग चार दशक पूर्व राजस्थान से यहां पहुंचे इन परिवारों ने कटिहार जिले के कोढ़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत जुराबगंज, रौतारा थाना क्षेत्र के रौतारा व बिहार से सटे पश्चिम बंगाल के रायगंज में अपना स्थायी बसेरा बना लिया। जुराबगंज में फिलहाल 500 से अधिक परिवार, रौतारा में 50 परिवार व रायगंज में 100 परिवार निवास कर रहे हैं। इसमें 75 फीसदी पुरुष सदस्यों का जुड़ाव किसी न किसी रूप में अपराध से है। चोरी, झपटमारी, छिनतई, लूट व डकैती इन अपराधियों का पेशा बन चुका है। 

काम के बहाने महानगरों में लेते हैं शरण 

इन तीनों गांवों का आपस में गहरा जुड़ाव है। आपराधिक वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस दबिश बढऩे पर वे एक-दूसरे के गांवों में शरण लेते हैं। इतना ही नहीं, लूट की राशि अथवा अन्य सामान खपाने में भी तीनों गांवों के अपराधी एक-दूसरे के सहयोगी बन जाते हैं। पूर्व में इस गिरोह द्वारा सीमांचल व कोसी के इलाकों में ही वारदात को अंजाम दिया जाता था। स्थानीय स्तर पर पुलिस दबिश बढऩे के चलते अब इस गिरोह द्वारा बिहार के अन्य जिलों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में भी वारदात को अंजाम दिया जाने लगा है। इन राज्यों की पुलिस कई बार इन अपराधियों की तलाश में यहां पहुंच चुकी है। 

बचपन से ही दी जाती है अपराध की शिक्षा 

इन गांवों में खुद परिवार के मुखिया अपने बच्चों को अपराध की शिक्षा देते हैं। कम उम्र के बच्चों को झपटमारी, पॉकेटमारी, चोरी आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। दरअसल इन गांवों के बच्चों का गिरोह भी पुलिस के लिए सिरदर्द बनता है। युवा सदस्य लूट व डकैती आदि की वारदात को अंजाम देने में माहिर होते हंै। खासकर स्वर्ण आभूषण की दुकानें, पेट्रोल पंप व बड़े व्यवसायी इस गिरोह के निशाने पर होते हैं। 

झारखंड में लूटी गई रकम इन्हीं गांवों से हुई थी बरामद 

2018 में झारखंड के पलामू में हुई 36 लाख की लूट में से 34 लाख रुपये जुराबगंज व रायगंज से की झारखंड व कटिहार पुलिस ने बरामद किए थे। उक्त मामले में कई आरोपितों की गिरफ्तारी भी हुई थी। इस तरह के कई मामलों का यहां उद्भेदन हो चुका है। 

कहते हैं एसपी

कटिहार एसपी  विकास कुमार का कहना है कि जुराबगंज, रौतारा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के रायगंज स्थित एक गांव के कई लोग पेशेवर अपराधी हैं। पूर्व में दूसरे प्रदेशों में वारदात को अंजाम देने वाले कई अपराधियों को गिरफ्तार कर वहां की पुलिस के सिपुर्द किया गया है। कुछ अपराधी फर्जी नाम बताते हैं। दूसरे प्रदेश से निर्गत वारंट पर जब वैसे अपराधी की तलाश शुरू की जाती है तो पता चलता है कि गांव में इस नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं है। दिल्ली सहित कुछ राज्यों के वारंट लंबित हैं और पुलिस ऐसे अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर प्रयत्नशील है।

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