Move to Jagran APP

पहले बंद कराता था नंबर, फिर क्लोन चेक बनाकर अकाउंट से निकालता था पैसे

पटना में एक शातिर ने क्लोन चेक बनाकर एक व्यक्ति के लाखों रुपये पार कर दिए।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 01:44 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 01:44 PM (IST)
पहले बंद कराता था नंबर, फिर क्लोन चेक बनाकर अकाउंट से निकालता था पैसे
पहले बंद कराता था नंबर, फिर क्लोन चेक बनाकर अकाउंट से निकालता था पैसे

पटना, जेएनएन। चोरी तो अपने आप में एक क्राइम है पर चोर को लालच बुरी बला है कहावत समझ आ गई। पटना के एक शातिर ने क्लोन चेक बनाकर एक व्यवसायी के बैंक खाते से नौ लाख 35 हजार रुपये निकाल लिए। इतने में उसका जी नहीं भरा तो तीन लाख रुपये का चेक लेकर फिर बैंक पहुंच गया, लेकिन लालच महंगी पड़ गई। पीरबहोर थाने की पुलिस ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया। पुलिस गिरोह में शामिल अन्य लोगों की तलाश में छापेमारी कर रही है।

loksabha election banner

एक चेक बैँक में जमा करने पर मिलते थे पांच हजार रुपये

पुलिस की पूछताछ में मोहित ने बताया कि गिरोह में पांच अन्य लोग भी शामिल हैं। उसका काम सिर्फ क्लोन चेक लेकर बैंक जाना है। एक चेक को बैंक में जमा करने पर उसे पांच हजार रुपये मिलते हैं। इसके पूर्व वह राकेश कुमार के नाम से तीन क्लोन चेक बैंक में जमा कर चुका था। पूर्व में भी उसे आधा दर्जन लोगों के खाते से रकम उड़ाने के लिए क्लोन चेक मिल चुका है। वह गिरोह के संपर्क में कैसे आया और क्लोन चेक के जरिए कितने की निकासी कर चुका है, इस बिन्दु पर पुलिस जांच कर रही है।

थाने में सनहा देकर बंद कराते थे ग्राहक का मोबाइल नंबर

क्लोन चेक से खाते से निकासी मामले में गिरफ्तार मोहित अरोड़ा ने पुलिस की पूछताछ में चौंकाने वाली बात कही। उसने बताया कि क्लोन किए गए चेक से निकासी के पूर्व वह ग्राहक के उस मोबाइल नंबर को ही बंद करा देते थे, जो खाते से जुड़े होते थे। गिरोह ने राकेश का मोबाइल नंबर भी टेलीकॉम कंपनी के जरिए 14 फरवरी से ही बंद करा दिया था। राकेश ने बीच में नंबर चालू भी कराया था, लेकिन पिछले तीन दिन से नंबर फिर बंद हो गया। इस दौरान गिरोह ने उनके खाते से क्लोन चेक के जरिए साढ़े नौ लाख रुपये की निकासी कर ली।

आखिर गिरोह तक कैसे पहुंच रही खाताधारक की पूरी जानकारी जालसाज के पास बरामद चेक मल्टी सिटी चेक है। जांच में पता चला कि दो तरह के चेक प्रिंट होते है। मुख्यालय से जो चेक प्रिंट होता है उस पर धारक का नाम या अकाउंट नंबर नहीं होता है। फिर दोबारा चेक पर खाताधारक का शाखा और अन्य जानकारी प्रिंट होती है। ऐसे में पुलिस पता कर रही है कि आखिर गिरोह तक ग्राहक की पूरी जानकारी कैसे पहुंच रही है? सूत्रों की मानें तो इस खेल में बैंक कर्मी या प्रिंटिंग से जुड़े कुछ लोगों की गिरोह से मिलीभगत है। ये उन तक खाताधारक की जानकारी और खाते से लिंक मोबाइल नंबर उपलब्ध करा रहे है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.