धरा का पेट भरा तो 80 फीसद बीमारियां होंगी दूर
राज्य में 85 फीसद पेयजल पृथ्वी में छेद कर पेट से प्राप्त किया जाता है।
पटना । राज्य में 85 फीसद पेयजल पृथ्वी में छेद कर पेट से प्राप्त किया जाता है। इससे भूजल का स्तर तेजी से कम हुआ है। अत्यधिक दोहन के कारण हानिकारक तत्व पानी के साथ आ रहे हैं। 80 फीसद बीमारियां जल के कारण हैं। धरा का पेट भरकर इन्हे आसानी से दूर किया जा सकता है। उक्त बातें शुक्रवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) में इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन द्वारा 'बदलते परिवेश में जल संरक्षण और गुणवत्ता प्रबंधन में दक्षता और लचीलापन' विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय जल ज्ञान शिखर सम्मेलन में वक्ताओं ने कहीं।
- परंपरागत जलस्रोत को करना होगा संरक्षित :
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि जल संकट को लेकर पूरा विश्व समुदाय चिंतित है। इसका निदान नहीं हुआ तो हमारा जीवन नहीं बचेगा। वैज्ञानिक तरीके से रेनवाटर हार्वेस्टिंग के जरिए जल संरक्षण एवं समुचित जल प्रबंधन की नितांत आवश्यकता है। वर्षा जल के समुचित प्रबंधन नहीं होने के कारण यह बहकर समुद्र के खारे पानी में मिल जाता है। इसे अधिक से अधिक उपयोग में लाने की जरूरत है। कुआं, तालाब, आहर, पईन आदि को पुनर्जीवित करना होगा। सुखद बात है कि केंद्र व राज्य सरकार जल संकट को लेकर संजीदा हैं। भारत सरकार की 'जल जीवन मिशन' और राज्य सरकार का 'जल जीवन हरियाली' योजना के सकारात्मक प्रभाव दिखेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में वर्षा जल में कमी आई है। कई जिलों में भूजल खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। यह गंभीर चिंता का विषय है। हम सचेत नहीं हुए तो भविष्य की पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। उन्होंने सम्मेलन में मौजूद वैज्ञानिक व विशेषज्ञों से संकट पर सार्थक चिंतन मनन करने की अपील की। इस साल के अंत तक सभी घरों में नल का जल :
पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि सभी घरों में स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है। इस साल के अंत तक सभी घरों में नल का जल पहुंच जाएगा। पिछले साल बाढ़ के लिए प्रख्यात दरभंगा में भी गर्मी के दिनों में कुएं का पानी सूख गया था। भूगर्भीय जल का दोहन कर हमने जल समस्या को गंभीर बना लिया है। बरसात में गंगा नदी का पानी राजगीर, गया और नवादा जिलों में पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। इससे भूजल पर निर्भरता कम होगी। वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। 'जल जीवन हरियाली' कार्यक्रम से जल संकट तथा पर्यावरण असंतुलन से निजात पाने में सहूलियत होगी। फल्गु नदी को मिलेगा पुनर्जीवन :
मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों नालंदा, राजगीर, बोधगया आदि में भी पेयजल संकट गंभीर होता जा रहा है। इसे दूर करने के लिए गंगा जल को गया ले जाने और फल्गु को पुनर्जीवित करने की योजना है। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने पेयजल निर्माण, स्वच्छता विकास एवं शौचालय निर्माण के माध्यम से जल संरक्षण के अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि हम अपनी दैनिक जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाकर जल को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। उद्घाटन सत्र में इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. दिनेश्वर प्रसाद सिंह ने विचार रखे। राज्यपाल ने 'स्मारिका' का विमोचन किया। बेहतर कार्य करने वाले किए गए सम्मानित :
पीएचईडी मंत्री ने दूसरे सत्र में जल के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले 20 विशेषज्ञों को सम्मानित किया। तीसरे सत्र में विभिन्न कंपनियों ने अपने-अपने प्रोडक्ट प्रेजेंटेशन दिए। बिहार में पहली बार इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन का वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। पिछले साल 51वां वार्षिक सम्मेलन इंदौर में आयोजित किया गया था। परिसर में लगभग 50 कंपनियों ने अपने उत्पादों के स्टॉल लगाए हैं।