मिर्गी के 70 फीसद मरीजों का नई दवाओं से इलाज संभव
मिर्गी रोग का इलाज के लिए अब नई दवाएं मौजूद हैं और ज्यादा कारगर साबित हो रही हैं।
पटना [जेएनएन]। मिर्गी के 70 फीसद मरीजों का इलाज संभव है। मिर्गी के इलाज में नई दवाएं ज्यादा कारगर साबित हो रही हैं। जिन मरीजों को दवाओं से मिर्गी ठीक नहीं हो रही है, उन्हें ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है। ये बातें रविवार को राजधानी में आयोजित एनईमीडीकॉन-2018 में दिल्ली एम्स के चिकित्सक डॉ.मंजरी त्रिपाठी ने कहीं।
उन्होंने कहा कि भारत में एक फीसद लोगों में मिर्गी की बीमारी पाई जाती है। मिर्गी होने के कई कारण होते हैं। मात्र तीन फीसद लोगों में ही आनुवांशिक कारणों से मिर्गी होती है। इस अलावा दिमाग में चोट लगने पर भी न्यूरो की समस्याएं बढ़ रही हैं।
खुले में शौच से पैदा हो रही ब्रेन की समस्या
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि खुले में शौच से ब्रेन से संबंधित बीमारी बढ़ रही है। खुले में शौच करने से उसके कीटाणु सब्जी एवं फलों के माध्यम से दिमाग तक पहुंच जाते हैं। वहां पहुंचने पर कई तरह की परेशानी पैदा करते हैं। इसलिए स्वच्छता पर विशेष जोर देने की जरूरत है।
दवा देते समय मरीज की उम्र का डॉक्टर रखें ख्याल
अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ.अजय कुमार सिंह ने कहा कि मिर्गी की दवा देेते समय डाक्टरों को मरीज की उम्र का ख्याल रखना चाहिए। इसके अलावा मरीज को मिर्गी की दवा देने से पहले उसके बीमारी के बारे में पता होना चाहिए। टीबी के मरीजों पर मिर्गी की दवा कम काम करती है। उन्होंने कहा कि मिर्गी की दवा कभी भी अचानक बंद नहीं करनी चाहिए। अचानक दवा बंद करने से मरीज की परेशानी बढ़ सकती है।
गर्भनिरोधक की क्षमता कम कर देती है मिर्गी की दवा
विशेषज्ञों ने कहा कि मिर्गी की दवाएं गर्भनिरोधक दवाओं की क्षमता कम कर देती हैं। ऐसे में मिर्गी की दवा खाने वाली महिला गर्भ निरोधी दवा खाने के बाद भी गर्भ धारण कर सकती हैं। मिर्गी की दवाओं का असर गर्भ में पल रहे भ्रूण पर भी पड़ सकता है। इसके अलावा मिर्गी की दवाओं का असर किडनी एवं लिवर पर भी पड़ सकता है।
मौके पर बंगलुरू से आए डॉ.प्रमोद पाल, डॉ.पी.सतीशचद्रा, रांची से डॉ.उज्ज्वल राय, डॉ.आदित्य गुप्ता, डॉ.मंजरी त्रिपाठी, डॉ.एमएन सिंह, डॉ.संजय कुमार, डॉ.स्वयं प्रकाश सहित कई लोगों ने भाग लिया।