अनुसूचित जाति की 51 से 79 फीसद बेटियां तोड़ लेती हैं स्कूलों से नाता
बिहार में अनुसूचित जाति के लोगों के उत्पीड़न उनकी शिक्षा आर्थिक और सामाजिक स्थिति नहीं सुधर रही है।
पटना। बिहार में अनुसूचित जाति के लोगों के उत्पीड़न, उनकी शिक्षा, आर्थिक और सामाजिक स्थिति सहित अन्य मुद्दों की समीक्षा मंगलवार को हुई। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया ने अध्यक्षता की। मुख्य सचिव, डीजीपी, संबंधित विभागों के प्रधान सचिव, सचिव सहित अन्य शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे।
समीक्षा के क्रम में जो तथ्य और आंकड़े सामने आए उसपर राष्ट्रीय आयोग ने गहरी चिंता जताई। इस दौरान बिना किसी तैयारी के ही बैठक में भाग लेने आ कई जोन के अधिकारियों पर नाराजगी दिखाई। आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी से एक माह में जोन वाइज रिपोर्ट मांगी है।
बैठक के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए कठेरिया ने कहा कि बिहार में अनुसूचित जाति के उत्पीड़न के मामले राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक हैं। एससी उत्पीड़न का राष्ट्रीय औसत जहां 21 फीसद है, वहीं बिहार में 42 फीसद। इससे उलट सजा की दर बिहार में राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। राष्ट्रीय स्तर पर सजा दर 15 से 20 फीसद तक है, तो बिहार में महज चार फीसद।
कोर्ट से आदेश मिलने पर दूसरा थानेदार दाखिल करता है चार्जशीट: कठेरिया ने कहा कि दुर्भाग्य यह है कि अब भी अनुसूचित जाति उत्पीड़न का केस थाना स्तर पर दर्ज नहीं हो रहा। कोर्ट के माध्यम से आदेश आने पर दूसरा थानेदार चार्जशीट दाखिल करता है। उत्पीड़न के मामलों में मुआवजा देने में भी विलंब होता है। कई मामलों में तो मुआवजा मिला तक नहीं। कठेरिया ने बताया कि साक्षरता के मामले में भी एससी महिलाओं की संख्या कम है। लड़कियां स्कूलों में नामांकन के बाद बड़ी संख्या में ड्राप हो जाती हैं। मिडिल स्तर तक 51 फीसद, माध्यमिक तक 52 फीसद और इंटर तक 79 फीसद छात्राएं स्कूलों से नाता तोड़ लेती हैं।
लोन देने में भी कोताही बरत रहा बैंक: बताया गया कि बिहार के बजट में अनुसूचित जाति के लिए आवंटित राशि भी खर्च नहीं हो पाती। कई विभाग तो 20 से 40 फीसद राशि ही खर्च कर सके हैं। बैंकों द्वारा उद्यम के लिए दिए जाने वाले लोन में भी कोताही बरती जा रही है। राज्य में बैंकों की लगभग सात हजार शाखाओं से कम से कम सात हजार एससी उद्यमियों को लोन मिलना चाहिए। अब तक मात्र 191 को ही लोन मिल सका है।
दोषी इंजीनियर पर एफआइआर का निर्देश: नालों की सफाई के दौरान मृत कर्मियों को भी पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने पर कठेरिया ने नाराजगी जताई। उन्होंने इसके लिए दोषी इंजीनियर पर एफआइआर करने का निर्देश दिया। कहा कि ऐसे मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।