बिहार की आधी महिलाओं में खून की कमी, 80 फीसद माताएं कुपोषण से अनजान
बिहार में जहां आधे से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं तो वहीं 80 फीसद माताएं नहीं जानती हैं कि कुपोषण क्या बला है। ये बात समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट से पता चली है।
पटना [दीनानाथ साहनी]। पूरे बिहार में माह भर चलने वाले पोषण अभियान की शुरुआत हो चुकी है। मगर हैरानी की बात यह कि प्रदेश में जहां आधे से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, वहीं करीब 80 फीसद माताएं नहीं जानती हैं कि 'कुपोषण' क्या बला है। ऐसी माताएं खुद खून की कमी (एनीमिया) से जूझ रही हैं।
समाज कल्याण विभाग की यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है। कुपोषण से अनजान महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से भी जूझना पड़ रहा है। कमजोरी, तनाव, चिड़चिड़ापन, बेहोशी और अनिद्रा जैसी शिकायतें आम हैं।
प्रदेश की 49.13 फीसद महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) की गंभीर समस्या है। सबसे खराब स्थिति अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिलाओं की है। इन वर्गों कीं करीब 95 फीसद माताएं कुपोषण की शिकार हैं।
21 से 49 आयुवर्ग की महिलाओं में खून की कमी कुपोषण की वजह से है। वैसे वर्ष 2013 में इस आयु वर्ग की 57 फीसद महिलाएं एनीमिया की शिकार थीं, जिनकी संख्या घटकर 49.13 फीसद हुई है। जाहिर है, कुपोषण के प्रति माताओं में यह अज्ञानता के लिए व्यवस्था भी कम जिम्मेवार नहीं है।
बड़ा सवाल, पोषण जागरूकता के नाम पर हर साल चलने वाले कार्यक्रमों का लाभ किसे मिल रहा है? खास बात यह कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक माताओं के मामले में पटना और नालंदा जिले की स्थिति कुछ बेहतर है। जहां क्रमश: 86 फीसद एवं 84 फीसद महिलाएं कुपोषण के प्रति जागरुक हैं।
बाकी जिलों में आंकड़े हैरान करने वाले हैं। भोजपुर में 79.11 फीसद, गया में 77.21 फीसद, नवादा में 80 फीसद, सिवान में 80.53 फीसद, मुजफ्फरपुर में 80.20 फीसद, दरभंगा में 80 फीसद, सीतामढ़ी में 80 फीसद, बांका में 79.02 फीसद, भागलपुर में 78.32 फीसद, किशनगंज में 77 फीसद, अररिया में 75.22 फीसद, पूर्णिया में 79.13 फीसद और सुपौल में 80.12 फीसद समेत अन्य जिलों में माताओं में कुपोषण के प्रति जागरुकता की कमी है।
बच्चों पर कुप्रभाव
एनएमसीएच के शिशुरोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.एके ठाकुर के मुताबिक राज्य में बच्चों के कुपोषण का एक कारण यह भी है कि उनकी माताओं में पोषण के प्रति जागरुकता का अभाव है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएसएच) की रिपोर्ट में साफ है कि बिहार में 47.3 फीसद बच्चों में कुपोषण की गंभीर समस्या है। राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के कुपोषण के मामले में बिहार तीसरे पायदान पर है।
इन्होंने कहा-
'केंद्र प्रायोजित पोषण अभियान की शुरुआत हो चुकी है। यह पूरे माह भर चलेगा। इस अभियान का मकसद बच्चों, किशोरियों एवं महिलाओं में कुपोषण को कम करना है। इसके लिए मिशन मोड में पोषण अभियान को सभी जिलों में कार्यान्वित करने का निर्देश दिया गया है।
-आरएसपी दफ्तुआर, आइसीडीएस, बिहार
- सूबे में 49.13 फीसद महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया से ग्रसित)
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की करीब 95 फीसद माताओं में कुपोषण की जटिल समस्या
- पटना जिले में 86 फीसद और नालंदा जिले में 84 फीसद महिलाएं कुपोषण के प्रति जागरूक
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