डॉक्टरों से 2 घंटे मिन्नतें मांगती रहीं 5 बेटियां, बिना भर्ती हुए दुनिया छोड़ गए पिता
पटना में मंगलवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। यहां एनएमसीएच की अव्यवस्था की भेंट एक पांच बेटियों का पिता चढ़ गया।
पटना, जेएनएन। दो घंटे में दो बार रजिस्ट्रेशन। फिर कटाई रसीद। जब लगा कि अब पापा को नहीं किया जाएगा भर्ती तो पांच बेटियां अपने भाई और मां के संग डाक्टरों और कर्मियों से मांगने लगीं मिन्नतें। एक विभाग से दूसरे विभाग। कहीं पापा की हो जाए जांच, पर कहां कोई सुुनने वाला था। आखिर ये पटना का नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनएनसीएच) जो है। बेटियों के रोते-रोते दो घंटे तक पिता ने साहस बनाए ऱखा, पर इस व्यवस्था में वो कब तक रह पाते। आखिर छोड़ गए दुनिया।
खाजेकलां थाना क्षेत्र के नून का चौराहा निवासी 60 वर्षीय नरेश गुप्ता को सीने में दर्द की शिकायत पर सोमवार की सुबह एनएमसीएच लाया गया। पत्नी उमा देवी, पुत्री कनन उर्फ प्रिया, मोना, संगीता, नंदनी, विवाहिता पुत्री रूबी, भाई संतोष कुमार का कहना है कि सोमवार की सुबह 9:53 बजे इमरजेंसी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। मेडिसीन विभाग की पर्ची काटी गई। बाद में पर्ची पर मेडिसीन विभाग काटकर सर्जरी विभाग लिख दिया गया। जब बेटियां नरेश को इमरजेंसी में लेकर गई तो डॉक्टरों ने बोला- नई पर्ची कटाओ।
त़ड़प रहे थे पिता, दे दी गई अगली तारीख
प्रिया व अन्य बहनें भागती हुईं रजिस्ट्रेशन काउंटर गईं। दूसरी पर्ची दोपहर 12:28 बजे कटवाई गई। प्रिया ने बताया कि नई पर्ची लेकर जाने के बाद डॉक्टरों ने कुछ जांच कराने का कहा। जांच कराने गई तो बहुत आगे की तारीख दी गई। इमरजेंसी कह मिन्नतें करने पर जांच हुई। डॉक्टरों ने रिपोर्ट देखने के बाद पिता को इंजेक्शन लगाया और ठीक बता कर घर ले जाने के लिए कह दिया।
आखिर कितना इंतजार करते
प्रिया ने बताया कि सोमवार की शाम सभी पिता को एनएमसीएच से लेकर घर आ गए। शाम में उन्होंने जाकर दूध भी लाया। इसी रात तबीयत फिर बिगड़ी। मंगलवार की सुबह में निजी अस्पताल ले जाया गया। वहां से फिर मरीज को एनएमसीएच रेफर कर दिया गया। यहां फिर इमरजेंसी में भर्ती कराने की भागदौड़ शुरू हुई। अभी जांच और अन्य प्रक्रिया चल ही रही थी कि इमरजेंसी के बाहर ही नरेश की मौत हो गई।
चार घंटे पहले मौत होने की बात कह रहा प्रशासन
बेटी प्रिया कहा कहना है कि अस्पताल प्रशासन चार घंटे पहले ही मौत होने की बात कह रह है, जो गलत है। अगर सोमवार को ही इमरजेंसी में पिता को भर्ती कर लिया गया होता तो ऐसी स्थिति नहीं होती। उसने बताया कि रसोई गैस वेंडर का काम करने वाले भाई संतोष कुमार ही घर का खर्च चलाते हैं। प्रिया ने बताया कि 21 फरवरी से मेंरी मैट्रिक की परीक्षा होनी है।
सभी पक्षों की जांच के बाद ही कुछ कहेंगे
एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. चंद्रशेखर ने इस पूरे मामले पर कहा कि इमरजेंसी के लिए एक ही पर्ची कटानी होती है। विभाग अलग होने के बाद भी इमरजेंसी की पर्ची पर इलाज शुरू होना चाहिए। मरीज नरेश को भर्ती नहीं किए जाने या इलाज समय से शुरू न होने के मामले के बारे में कैजुएल्टी रजिस्ट्रार ही कुछ बता सकते हैं। पीड़ित परिजन इनसे मिलें। यहां के बाद वह मुझ से पूरी रिपोर्ट व जानकारी के साथ मिल सकते हैं। इमरजेंसी से जुड़े इस मामले में दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि गलती किस स्तर पर हुई है।