GST के लागू होने के बाद टैक्स निर्माण क्षेत्र से बिहार को हुआ 49 फीसद घाटा Patna News
जीएसटी लागू होने के बाद बिहार को एक क्षेत्र में नुकसान भी उठाना पड़ा है। राज्य को राजस्व में करीब 49 फीसद का घाटा हुआ है।
By Edited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 01:58 AM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 08:13 AM (IST)
जितेंद्र कुमार, पटना। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के लागू होने के बाद बिहार को राजस्व में करीब 49 फीसद का घाटा हुआ है। पहले साल का घाटा करीब 70 फीसद हुआ, लेकिन दूसरे साल भी अपेक्षित टैक्स का हिस्सा प्रदेश को नहीं मिल सका है। बिहार में वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) राजस्व का बड़ा स्रोत निर्माण क्षेत्र था। जीएसटी लागू होने के पहले वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्रदेश को करीब 1579 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ था। इससे पहले 2015-16 में करीब 1233 करोड़ रुपये वैट के रूप में हासिल हुआ था।
जीएसटी प्रभावी होने के बाद वित्तीय वर्ष 2017-18 में बिहार के हिस्से में निर्माण क्षेत्र से मिलने वाले टैक्स का हिस्सा घटकर 521 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2018-19 में जीएसटी के रूप में बिहार को करीब 803 करोड़ रुपये मिला है। अप्रैल से जुलाई के बीच 181 करोड़ रुपये हासिल हुआ है।
सेवा क्षेत्र में शामिल हुआ निर्माण उद्योग
निर्माण कार्य और उद्योग को जीएसटी में सेवा क्षेत्र माना गया है। किसी प्रकार की संरचना का निर्माण, परिवर्तन अथवा सुधार कार्य को सेवा श्रेणी में शामिल किया गया है। निर्माणाधीन फ्लैट, मकान, व्यावसायिक भवन का निर्माण और बिक्री को सेवा मानते हुए जीएसटी लगाया गया है। आरंभ में 18 फीसद जीएसटी था, जिसे घटाकर 12 फीसद किया गया। नए संशोधन के अनुसार 45 लाख से कम के मकान और फ्लैट पर एक फीसद और इससे अधिक पर पांच फीसद जीएसटी भुगतान का प्रावधान किया गया है। नई व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभावी हो गई है
किस-किस मद में कितना टैक्स
किसी निर्माण, फैब्रिकेशन, इंटीरियर, भवन की साज-सज्जा सहित सभी अवयव जीएसटी के दायरे में शामिल हैं। पहले 18 फीसद टैक्स में भूमि की कीमत पर 12 और निर्माण पर आठ फीसद टैक्स को जोड़कर 18 फीसद भुगतान किए जाने का प्रावधान था। सरकार ने एक अप्रैल से भवन को दो श्रेणी में बांट दिया है। सामान्य आय वर्ग के लिए 45 लाख तक के भवन या फ्लैट के लिए टैक्स में भारी रियायत दी है।
जीएसटी प्रभावी होने के बाद वित्तीय वर्ष 2017-18 में बिहार के हिस्से में निर्माण क्षेत्र से मिलने वाले टैक्स का हिस्सा घटकर 521 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2018-19 में जीएसटी के रूप में बिहार को करीब 803 करोड़ रुपये मिला है। अप्रैल से जुलाई के बीच 181 करोड़ रुपये हासिल हुआ है।
सेवा क्षेत्र में शामिल हुआ निर्माण उद्योग
निर्माण कार्य और उद्योग को जीएसटी में सेवा क्षेत्र माना गया है। किसी प्रकार की संरचना का निर्माण, परिवर्तन अथवा सुधार कार्य को सेवा श्रेणी में शामिल किया गया है। निर्माणाधीन फ्लैट, मकान, व्यावसायिक भवन का निर्माण और बिक्री को सेवा मानते हुए जीएसटी लगाया गया है। आरंभ में 18 फीसद जीएसटी था, जिसे घटाकर 12 फीसद किया गया। नए संशोधन के अनुसार 45 लाख से कम के मकान और फ्लैट पर एक फीसद और इससे अधिक पर पांच फीसद जीएसटी भुगतान का प्रावधान किया गया है। नई व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभावी हो गई है
किस-किस मद में कितना टैक्स
किसी निर्माण, फैब्रिकेशन, इंटीरियर, भवन की साज-सज्जा सहित सभी अवयव जीएसटी के दायरे में शामिल हैं। पहले 18 फीसद टैक्स में भूमि की कीमत पर 12 और निर्माण पर आठ फीसद टैक्स को जोड़कर 18 फीसद भुगतान किए जाने का प्रावधान था। सरकार ने एक अप्रैल से भवन को दो श्रेणी में बांट दिया है। सामान्य आय वर्ग के लिए 45 लाख तक के भवन या फ्लैट के लिए टैक्स में भारी रियायत दी है।
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